________________ नयामृततरङ्गिणी-तरङ्गिणीतरणिम्या समतो नयोपदेशः / अहः, गाथादिकम्। 33 इय समणीइ योगा स्थलम्, [बौलादिविंशतिकायाम् ] [. पृष्ठम्, पतिः 380, 10 293, 30 335, 22 353, 6 400, 5 284, 351, 21 380, 2 244, 12 [ हारीत. 35 उपक्रमोपसंहारा० 36 उप्पशाणुप्पो इत्थ.... 37 उभाभ्यामपि पक्षायां० - उपसरंगा इह. ,39 ऊर्ध्व गच्छन्ति. 40 एएण मीसपरिणामिए 41 एएहिं दिट्ठीवाए. 42 एकधा बहुधा चैव० 43 एतद् विज्ञायैवं. 44 एवमेवास्मादात्मनः 45 .एवं जीवं जीवो 46 औत्पत्तिकस्तु० 47 कथयति भगवानिहा. 48 कर्ममा न प्रजया० 49 कर्ममा बध्यते जन्तु. 50 कर्मभिः शुद्धान्तः० 51 क्षणिकाः सर्वसंस्कारा० 52 बीयन्ते चास्य. 53 काम! जानामि ते मूलं. 54 काम. उभयाभावो. 55 काम्यानां कर्मणां० Mi काशीमरणान्मुक्तिः 57 कालव्यदृच्छा० 50 कालोः सहावणि. [ बीजादिविंशतिकायाम् ] [आवश्यके गा. 760] [स्मृति [ षोडशप्रकरणे ] [बृ० 2, 1, 20] [ विशेषा० भाष्यगा० 2256 ] [जैमिनिसूत्र [पुराण 246, 7 312, 37 204, . . 8 360, . 405, [1 सं० सो० 28] [ श्रुति 332, 7 386, 10 340, 4 242, 38 282, 4 399, 4 [स्मृति [आवश्यके गा० 1145] . ; : ܝ ܘ ܘ ܝ // ܘܶ܂ . " . , ܝ ܝ ܝ . . ܐ ܚ ܚ ܘ ܟ ܝ ܐ ܝ : ܘ [सम्मति० का० 3, गा० 53 ] [पा० उणा० 225] 378, 200, 328, 330, [ते. सं. 2 ]. 362, 282, 282, 6, प्रहसंमार्टि 31 त्रिया यजेत 6. चित्रसामान्यं० 63 जइमि य पडिमा उ 64 जड वेडंबगलिंग. 65 जइ सावज्जा किरिया० 66 जत्य य जं जाणिज्जा. 67 जन्यत्वमेव जन्यस्य 68 जमेन तु. 69. #अनाणी कम्म खवई 0 महा भगवया दिटुं० [आवश्यके गा० 1147 ] [ आवश्यके गा० 1149] [ आवश्यके गा० 1145] [अनुयोगद्वारे गा० 1] 282, 259, 341, 332, 1 413, 10 378,