SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नातीगीतरविभ्या अमलहतो नवोपदेशः / -- स्थलम्, पृष्ठम्, पतिः ... 382, 2 [ M [ भगवद्गीता 5, 11] [बृहदारण्यकोपनिषद् 3, 7, 22] 242, 24 323, 4 302, 4 313, 17 [श्रुति 363, 28 . 185, 1 [विशेषा० नियुक्ति गा० 2185] [ वार्तिकामृते 296, 317, 7 1 . [कुसुमाजली श्लो. महाः, गाथादिकम् 185 यवसायं जुहोति. 186 थे मध्यमा० 187 योगारूढस्य 188 योगिनः कर्म कुर्वन्ति 189 यो विज्ञाने 190 रज्जु-सप्पादिवद् 191 रजोशः पञ्च० 192 राजसूयेन. 193 रूपं रूपं प्रति. 194 वद्विरुष्णो जलं. 195 वंजण-अत्थ- तदुभयं. 196 वागरूपता चेद् 197 वित्तात् पुत्रः 198 विद्यां चाविद्यां च. 199 विधिरत्यन्तम 200 विफलाविश्व. 201 विविदिषन्ति 202 विवेकवता० 203 विश्वजिता यजेत 204 वेदान्तानाम. 205 वैनयिकमतं 206 व्यजनार्थयो. 207 व्यक्त्या० 208 शक्तिप्रंह 209 शङ्का चेद० 210 शाखामेदात् 211 श्रुति-लिङ्ग 212 श्रोतव्यो मन्तव्यो. 213 श्रोतव्यः श्रुति 214 संकल्पमूलः कामो. 215 संज्झासु दोसु सूरो 216 संध्यामुपासते. 217 संन्यस्य सर्वकर्माणिक 218 संवरनिर्जरारूपो. 219 सत्त्वं लघु प्रकाशक. 22. सत्वांशः पञ्चभिस्तेषांक 221 सन्ता तित्ययरगुणा० 222 सत्येन लभ्यस्तपसा. 334, 5 . 328, 28 [पञ्चदश्यां 392, 9 [ तत्त्वार्थ. अ. 1, सू० 35] [ न्यायदर्शने अ० 1, सू०] . 185, 2 268, 268, 365, [कुसुमाजली श्लो. ] [पञ्चदश्यां . ] जैमिनिसू० 3, 3, 14 ] [ बृहदारण्यके 2, 4, 6] ] 330, 30 338, 12 242, 32 264, 11 324, 5 390, 1. [ आवश्यके गा० 1538 ] [स्मृति 348, 17 [ [आवश्यके गा० 1144] 280, 6 [श्रुति
SR No.004344
Book TitleNayopdesh Part 02 Tarangini Tarni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani, Lavanyasuri
PublisherVijaylavanyasuri Gyanmandir
Publication Year1956
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy