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________________ नमस्कार स्वाध्याय। विभाग] परिचय प्रथम टीकाना कर्ता श्रीगुणरत्नमुनि छ / आ नामना त्रणेक आचार्योनो परिचय मळे छ। एक खरतरगच्छीय गुणरत्नमुनि, जेमणे नेमिचंद्र भंडारीए रचेला प्रसिद्ध षष्टिशतक' ऊपर सं. 1501 मां टीका रची हती। बीजा आगमगच्छीय गुणरत्नसूरि, जेमना शिष्य देवरत्ने ‘गजसिंहकुमाररास'नी रचना करी हती अने त्रीजा गुणरत्नसूरि, तपागच्छीय श्रीदेवसुंदरसूरिना शिष्य 5 हता; जेमणे ‘क्रियारत्नसमुच्चय', 'षड्दर्शनसंग्रह' ऊपर टीका वगैरे ग्रंथोनी रचना करी हती / आ त्रण पैकी कया गुणरत्नसूरिए 'नमस्कारप्रथमपदपदार्थाः' एटले 'नमो अरिहंताणं' पदना 110 अर्थों लख्या छे, ते जाणवा मळ्युं नथी / 'शब्दोना अनेक अर्थो होय छे' ए उक्तिने ध्यानमा राखीने तेमणे अर्थो कर्या छे। आटला अर्थो उपजाववानी कर्तानी व्युत्पन्न शक्तिनो ख्याल आ जोतां मळे छ / 'अनेकार्थरत्नमंजूषा' नामक ग्रंथना पृ. 103 थी 118 मांथी 10 आ टीकाभाग उद्धृत करवामां आव्यो छे। द्वितीय टीकाना कर्ता आगमगच्छीय देवरत्नसूरि छे; जेओ गुणरत्नसूरिना शिष्य हता अने उपर्युक्त 'गजसिंहकुमाररास'ना कर्ता हता। तेमणे "नमस्कारमन्त्रान्तर्गत-नमो लोए सन्वसाहणं-पञ्चमपदगत 'सव्व'. शब्दस्यानेकार्थाः" नामे पांचमा पदमा आवता 'सव्व' दना अनेक अर्थो जुदी जुदी रीते बताव्या छे / .. 15 YONI . . . Eml atta LADA hasha ba
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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