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________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध 483 22 भोगावळीकर्मने भोगकर्मने , 22-23 चरित्ररूप... छे चारित्रनो अंगीकार करे छे . " 24 उपयोगी उपयोगवाळा , 28 सुरनायको सुरेंद्रो 31 1. चर्मचक्षुथी...... करे छ। 1. श्री अरिहंत भगवंतोनो आहार अने निहार चर्मचक्षुवाळा जोई शकता नथी। 33 3. तेओ...धारण करे छ। 3. तेओनुं मांस अने रुधिर गायना दूधनी धारा जेवू श्वेत होय छे। 26 प्रकृतिओने कर्मप्रकृतिओने , 29 शरीरना शरीरनी अवगाहना (देहमान)थी " 29 अवगाहनावाळा अवगाहनावाळा थईने , 29-30 अग्रभागे...छे अग्रभागने पाम्या छे 486 19 पण ज्ञानीपुरुषो केवली भगवंतो पण 487 24-25 जे सारणा,......पडिचोयणा वडे जेओ स्मारणा (कोईने विस्मृति थतां तेने स्मृति कराववी), वारणा (अशुद्ध भणताने वा), चोदना (अध्ययनादि माटे प्रेरणा करवी) अने प्रतिचोदना (प्रसंगवशात् कठोर वचनादि वडे पण प्रेरणा करवी) वडे 488 18 सुत्तधारया सुत्तधाराए 22 जेओ संसारना जेओ आ संसारमा 28 जाणकार धारक 13 मणग °मयग 25 अक्षररूप वर्णरूप .28 प्राप्त करवाना छे माटे योग्य , 32 दर्शन, एकीभावने प्राप्त (संमिलित) दर्शन, 4911 झाइअधम्म सुक्कझाणा झाइअधम्मसुक्कझाणा 492 31-32 सत्तर प्रकारना...... सत्तर प्रकारना संयमरूप देहवाळा अने अढार वंदन करुं छु / / 1262 // हजार शीलांगोने सुंदर रीते वहन करता एवा जे साधु भगवंतो पंदर कर्मभूमिओमां विचरे छे ते सर्वने हुं वंदन करूं छु // 1262 / 495 25-26 (अलौकिक...मारो (अलौकिक सौभाग्य आदि गुणोने लीधे पुनः पुनः) दर्शनीय जेमनां दर्शन करवा माटे तथा निर्निभेष दृष्टिए दर्शन करीने आत्मतृप्ति मेळववा माटे इंद्रे हजार आंखो करी ते अरिहंत भगवंतोने मारो , 29 अभिलाषावाळा स्वाभाविक अभिलाषावाळा 496 - 15 असवलि अस्खलि° " 25 संसार जीव संसार , 25 थयेलो मनुष्य थाय छे अने तेथी 28-29 मुनिवरो...धरे छ मुनिवरोना पण जेओ ध्येय छे
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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