________________ शुद्धिपत्रक [प्राकृत अच्छिदुरेण तपसा। अणउम्मिल्लिअनाणो सुअजल लय (समत्व) ते विनीत साधु पंक्ति अशुद्ध 4 अच्छिदुरेण। 4 तपसा 12 अणउम्मिलिअ नाणो 13 सुअ जल 30 लय 31 ते साधु 26 जैन शासनना 27 पापोने हणी नाखो 7 असंगमः 9 अन्तरायस्य / 28 कुतीर्थी 32 कंमे . 34 हरिभद्रसूरिरचिताया१६ जीती न शकाय 16 एवा पंचेद्रियना विषयो 18 विद्याधरोए 22 जे चरण...श्रेष्ठ छे, .. 24-25 पांच आश्रव...हजो // 5 // 3 दौस्थ्य (विषम स्थिति) नो नाश करो असंग अन्तरायस्य 23 / कुतीर्थ कम्मे स्वरचितायादुःखे करी जीती शकाय एवी पांच इंद्रियो विद्याधरेन्द्रोए जेमने चरण अने करण प्रधान छे, पांच आस्रव अने पांच इंद्रियोनो निग्रह करनार अने चार कषायने जीतवामां तत्पर एवो केवलीओए उपदेशेलो जे धर्म ते मने सदा शरण हो // 5 // आपनार ज्यांसुधी नमस्कारमंत्रनी प्राप्ति न थाय त्यांसुधी अनेक जन्मोमां संचित करेलां भव्यजीवोनां शारीरिक अने मानसिक दुःखोनो नाश क्याथी थाय? // 12 // (पृष्ठ) 527 . पञ्चपरमेशि , 504 , 25 करनार 26-27 अनेक जन्मोमां...क्यांथी थाय? // 12 // (पृष्ठ)२५७ रमेष्ठिपञ्चप नोंध : पृष्ठ 362 उपर जे यन्त्र आप्यु छ तेमां 8 मी ऊभी पंक्तिमा 9, 9, 1, 5 ने बदले अनुक्रमे 9, 6, 2, 7 वांचवा अने 9 मी ऊभी पंक्तिमा 6, 7, 2 ने स्थाने अनुक्रमे 5, 9, 1 वांचवा। .