________________ 542 12 X : शुद्धिपत्रक [प्राकृत पृष्ठ पंक्ति . अशुद्ध शुद्ध 474 17 11. ॐ ह्री सर्वास्त्रायै नमः 11. ॐ ह्री सर्वास्त्रामहाज्वालायै नमः। , 17 12. ॐ ह्री महाज्वालायै नमः। 18 13 18 14 18 (उमेरो करो-) 14 ॐ ही अच्छुप्तायै नमः। 24 ब्रह्माय ब्रह्मणे 8 भौमाय भोमाय , 27-28 सेवायला......कवू। सेवायेलं ('ल' अने 'क्षि' अक्षरयुक्त) अने भूमितल उपर प्रतिष्ठित , 29 प्रकार, 30 जाण्यु होय तो जाणवामात्रथी 476 18-19 निर्मल होवाना......क्षय करे छे // 208 // तप अने संयमथी युक्त एवो जे निर्मल अने.. उज्ज्वल एवा आ सिद्धचक्रनुं शुक्लध्यानना योगथी ध्यान धरे छे ते विपुल निर्जराने पामे छे // 208 // , 22-24 आ (सिद्धचक्र)......कर्यु छे // 210 // आ (सिद्धचक्र) परमतत्त्व छ, परमरहस्य छे, परमतंत्र छे, परमअर्थ छे, परमपद छे-एम परमपुरुषोए कह्यं छे // 210 // 25 जगतमा त्रणे जगतमा 25 अने x . 25 आपनार, आपनार अने 26 तमे तमे परमभक्तिथी 478 15 भगवंतोनी अंदर भगवंतोने विषे 479 28-29 ते महाराजा......बे प्रकारे ते (श्रीपाळ) महाराजा आगमोने भणनारा तेमज साधु-साध्वीओने भणावनारा उपाध्याय भगवंतो माटे निवासस्थान एटले उपाश्रयो, आहार, वस्त्रो आदि पूरा पाडीने द्रव्यथी तेमज भावथी एम बे प्रकारे 480 14 नमस्कार करवावडे नमन वडे , 14-15 निवासस्थान देवावडे वसतिना दान वडे 15 करवा 482 3 च x महिम , 22 जेमणे जेमना वडे 22 उपायु उपार्जाय , 23-24 छेल्ला भवमां...प्रणाम करूं छु // 1219 // तदनन्तर एक भव पछी ज (वच्चे एक देवतादिनो भव करीने) चरम भवमां जेओ उत्तम राजकुलमां अवतरे छे अने जेमना गुणो चौद महास्वप्नोथी. सूचवाय छे ते अरिहंतोने हुं प्रणाम करूंछु 1219 // 483 22 त्रण ज्ञानथी मत्यादि त्रण ज्ञानथी " 13 महिसं