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________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय 535 पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध 2 संग्रहानुग्रहा 8 मिय-पसु 8 सूरुवहि 15 अनुग्रह 24 पराक्रमी 24 स्वाभिमानी अथवा उन्नत 24 भद्रप्रकृति शुद्ध संग्रहनिग्रहा मियपसु सूरुयहि निग्रह दुर्धर्ष कर्मशत्रु प्रत्ये शूर महाव्रतोना भारने वहन करवामां समर्थ मृग पशु समान सर्वत्र अप्रतिबद्ध विहारवाळा 25 मृग समान सरळ, पशु समान ,, 25-26 बधी... विचरनारा 30. वसतिका 32 संपूर्ण वसति सिद्ध x अप्रगट अने आवरण जवाथी रत्नावयवोनो आविर्भाव रत्नोना बाकीना अप्रगट 18 सिद्धि 21 ज्यारे 24 स्थित 25 अप्रगट, बीजु... आवरण 26 जवाथी आविर्भाव 26 एम 27 अप्रगट रत्नोना बाकीना 30 केवल .7 संजातश्चैतत् प्रसादा 18 रहेतां . . . 20 सिद्धोमां 21 अधिकताना कारणे 183 . 3 धम्मवह 8 धर्मज्ञान 9 जांघ 3 अर्हन्ननमस्कारावलिका 6 संसूइय अवयार 18 . ज 19 रहेतां ज 20 ज 21 जन्मथी त्रण......एवा संजातश्चैतत्प्रसादा होवा छतां सिद्धो विषे (जीवोमां) अधिकताने उत्पन्न करनारा धम्मपहं धर्ममार्ग ढींचण अर्हन्नमस्कारावलिका संसूइयअवयार' 184 पण पण 24 शुद्धि (सूतिका) कर्म 27 शिखरमां 27 सिंहासन उपर त्रणे लोकमां उद्योत करनार (महान सूर्यना) जन्म रूप उदयने प्राप्त थयेला सूतिकर्म शिखर पर सिंहासनमां
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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