________________ 536 शुद्धिपत्रक __ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध 209 13-15 सोळ अक्षरो......करे छे / / 27 // , 18-19 जेने तप,.........जाय छे // 29 // , 20-22 शुद्ध मनवाळो......जाय छे / / 30 // [प्राकृत शुद्ध आ सोळ अक्षरोमांनो प्रत्येक अक्षर जगतमां उद्योत करनार छे, कारणके ते अक्षरोमां लाखो भवोने नाश करनारो पंचनमस्कार रहेलो छे // 27 // पंचनमस्काररूपी सारथिथी नियुक्त अने ज्ञानरूपी घोडाओथी जोडायेल तप, नियम अने संयमरूपी रथ परमनिर्वाणपुर-मोक्षपुरीमा लई जाय छे // 29 // शुद्ध आत्मावाळा, शुद्ध मनवाळा, पांचे समितिओथी युक्त तथा त्रण गुप्तिथी गुप्त एवा जेओ ते रथमां बेसे छे तेओ तरत मोक्षमां जाय छे // 30 // देवो अने असुरोथी प्रणाम करायेला एवा सिद्धो / आठ, आठसो, आठ हजार के आठ करोडवार स्मरण करायेला नवकारमंत्रना प्रभावथी. मारा शरीरनुं रक्षण करो // 32 // पओसमच्छरआहियहियया प्रत्यंगोनी रक्षा करवी सांभळतां ज बधा प्रद्वेष अने मत्सरथीं त्रिभुवन प्रमाण सोळ पत्रवाळु, दीप्त , 25 देवता अमे.........करो // 32 // 3 पओसमच्छर आहियहियया 13 तेना अवयवोनो विचार करवो 24 सांभळनार......द्वेषथी 27 सोळ पत्रवाळु, 27 देदीप्यमान 28 त्रिभुवनमा प्रमाणभूत छे 3 (यंत्रध्यान- फळ-) 4. आ (यंत्र) नुं ध्यान od 22 लेवाम 16 वद्धमाणसमिस्स 25 पण विदिशाओमा 19 सुधी......थाय छे, 25 ओळंगीने, 25 तरफ 26 लागतो 12 वैराट्यायै 19.20 'ॐ नमः......मानस्यै 5 किलि किलि 5 हिलि हिलि ,, 19 अक्षरो 2747 सकुङ्कु 23 तृतीयवलकम् 2753 सत्तो 276 28 वारीणामवत्तरक: 2772 तव // 35-36 // लेवामां वद्धमाणसामिस्स पण आराओनां आंतराओमा विदिशाओमां दूरथी पण स्तंभन क्रिया थई शके छे,. ओळंगीने (डाबा पगवडे चालवानुं शरु करीने), तरफथी रहेतो वैरोट्यायै 'ॐ हूँ महामानस्यै किली किली हिली हिली बीजाक्षरो सत्कुङ्कु तृतीयवलयम् तत्तो वारीणामवरत्तकः नव