________________ 10 [re] चाहादिमाललान्तर्गतो नमस्लानियमान संदर्भः। निसा-विराममि विषुखएणं, मुसानां सुमा-सायरेणं / देवाहिदेवाण जिणुत्तमाणं, किच्चो पणामो विहिणायरेणं // 8 // सिज्जाद्वाणं पमुतूणं, चिहिजा धरणीयले / भावबंधु जगन्नाह, नमुकार समो पढे // 9 // मंताण मंतो परमो इमुत्ति, 'याण श्रेयं परमं मुति। तत्ताण तत्तं परम पवित्तं, संसार-सत्ताण दुहाहयाणं // 10 // ताणं अन्नं तुन्मो अल्यि, जीवाणंभासागरे। बुडंताणं इमं मुत्तुं, नमुकार सुमोययं // 11 // अणेग-मंतर-संसियाणं, बाण सारीरिय-मामास / कत्तो अ भव्वाण भमिका नासो, न जाव पत्तो मकास्मात्तो // 12 // जलणाइ-भए सव्वं, (सेस) मृत्तुं समाप्ति बहामाहास्यामां / अहवारिभए शिण्टइ, अमोहसलं नह तहेह // 13 // अनुवाद रात्रिने अंते चार घडी जेटली रात्रि बाकी रहे त्यारे जागृत थईने गुणना समुद्र एवा सुश्रावके देवाधिदेव जिनेश्वर भगवंतोने विधि तथा बहुमानपूर्वक नमस्कार करवो जोइए // 8 // सुवामुं स्थान जेम्पलंग तथा पथारी बगेरे तेनो त्याग करीने जमीन पर केसीमे बवा उभा रहीने भावबंधु (सर्वदा सहायकारी होवाथी परमार्यथी बंधु) मने सगतमा माय एवा नमस्कार20 मंत्र स्मरण करे // 9 // (कारणके ) दुःखथी पीडाता सांसारिक जीवोने माटे आ नमस्कारमंत्र मधा ज मंत्रोमां परममंत्र छे, बधाज ध्येयोमा परमध्येय (= ध्यान करवा लायक) छे अने बधा तत्त्वोमां परम पवित्र तत्त्व छ // 10 // भवसागरमां डूबता जीवोने आ नमस्कारमंत्ररूपी वहाण सिवाय बीजु केइ ज रक्षण 25कारनार नयी // 11 // अनेक जन्मोमां बांधेला, त्था शारीरिक अमे मानसिक दुःखोमां कारणभूत एवों कर्मोनी मन्यजीवोने ज्यां सुधी नमस्कारमंत्रती प्राप्ति न थाय-त्यां :सुधी नाश मयांयी थाय ? // 12 // अग्नि आदिनो भय आवी पडे यारे बधी (श्रान्य आदि) अस्तुओनो त्याग करीने सामाग महारत्नने जेम लई लेवामां आवे छे, तथा शत्रुनो भय उपस्थित थाय त्यारे अमोघशस्त्रने जेम 1 श्राद्धदिनकृत्यनी अवचूरिने अनुसरीने आ भाषार्थ आपवामां आव्यो छे।