________________ 10 विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। 489 व्याख्या-ये गुरवो हु - इति निश्चितं पाषाणसमानान् - प्रस्तरतुल्यानपि शिष्यान् सूत्रधारया-सूत्ररूपतीक्ष्ण शस्त्रधारया सकलजनानां - सर्वलोकानां पूजनीयान् कुर्वन्ति, तानुपाध्यायान् अहं ध्यायामि // 1246 // मोहाहिदट्ठनहप्पनाणजीवाण चेयणं दिति / जे केऽवि नरिंदा इव तेऽहं झाएमि उज्झाए // 1247 // व्याख्या-मोह एव अहिः- सर्पस्तेन दष्टाः, अत एव नष्टमात्मज्ञानं येषां ते नष्टात्मज्ञानाः, एवम्भूता ये जीवास्तेभ्यो ये केऽपि गुरवः चेतनां - चैतन्यं ददति, के इव ? - नरेन्द्रा इव-विषवैद्या इव, तानुपाध्यायानहं ध्यायामि // 1247 // अन्नाणवाहिविहुराण पाणिणं सुअरसायणं सारं / जे दिति महाविजा तेऽहं झाएमि उज्झाए // 1248 // व्याख्या-अंज्ञानमेव व्याधिः- रोगस्तेन विधुराः पीडितास्तेभ्यः प्राणिभ्यः सारं-प्रधानं श्रुतमेव रसायनं- महारोगनाशकौषधं ये महावैद्या इव गुरवो ददति तानुपाध्यायानहं ध्यायामि // 1248 // गुणवणभंजणमणगयदमणं कुससरिसनाणदाणं जे। दिति सया भवियाणं तेऽहं झाएमि उज्झाए // 1249 // व्याख्या-गुणा एव वनानि तानि भञ्जन्तीति गुणवनभञ्जना ये मदा- जातिमदादयोऽष्टौ 15 ते एव गजा - हस्तिनस्तेषां दमने - वशीकरणे अङ्कुशसदृशं यद् ज्ञानं तस्य दानं ये गुरखो भव्येभ्यः सदा ददति तानुपाध्यायान् अहं ध्यायामि // 1249 // दिणमास जीवियंताई सेसदाणाइ मुणिउं जे नाणं / मुत्तितं दिति सया तेऽहं झाएमि उज्झाए // 1250 // व्याख्या-शेषदानानि दिनमासजीवितान्तानि 'मुणित्वा' ज्ञात्वा ये गुरवः सदा मुक्त्यन्तं 20 ज्ञानं ददति, तान् उपाध्यायानहं ध्यायामि, दिनं च मासश्च जीवितं च -दिनमासजीवितानि तेषु जेओ पाषाण जेवा (जडबुद्धि) शिष्योने पण सूत्रनी तीक्ष्ण धारा वडे समग्र मनुष्योना पूजनीय बनावे छे ते उपाध्याय भगवंतोनुं हुं ध्यान धरूं छं॥ 1246 // मोहरूपी सर्प डसवाथी जेमना ज्ञान-प्राण नष्ट थई गया छे एवा जीवोने विषवैद्यनी जेम जेओ नवं चैतन्य आपे छे ते उपाध्यायजी महाराजनुं हुं ध्यान धरूं छु // 1247 // 25 ____अज्ञानरूप व्याधिथी पीडित थयेला प्राणीओने महावैद्यनी पेठे जेओ श्रुतज्ञानरूपी श्रेष्ठ रसायण आपे छे ते उपाध्याय भगवंतोतुं हुं ध्यान धरं छं // 1248 // __ भव्य जीवोना गुणरूप वननो नाश करनारा मदरूपी (जाति वगेरे आठ प्रकारना ) हाथीओनुं दमन करवामां अंकुश समान एवं जे ज्ञान तेनुं सदाकाळ दान आपनार उपाध्याय भगवंतोनुं हुं ध्यान धरुं // 1249 // (ज्ञानदान सिवायनां) बीजां दानो दिवसो सुधी, महिनाओ सुधी के जीवनपर्यंतनां होय छे 30 62