________________ संबोधप्रकरणग्रन्थादाचार्यादि-स्वरूपसंदर्भः। [प्राकृत सम्मत्त-नाण-चरणाइसु वत्थाईसु तह विहारेसु / सव्वेसु सहायत्तं, किच्चा संजमथिरो कुणइ // 190 // तव संजमजोगेसु, जो जोगो तत्थ तं पवत्तेइ / असुहं च निवत्तेइ, गणतत्तिल्लो पवित्तीओ // 191 // संघस्सावि पवत्तइ, आयरियाईहि गँजिओ संतो / वच्छल्लपभावणाइसु, महत्तकारी पवित्तीओ // 192 // सुपुण्णजोगवाही, कालग्गहणपभिइअणुट्ठाणो। उज्जमइ उजमावइ, जहजुग्गं सो गणी गच्छे // 193 // इत्यादि / मुनिखरूपम् गीयत्था संविग्गा, निस्सल्ला चत्तगारवासंगा। जिणमयउज्जोयकरा सम्मत्तपभावगा मुणिणो // 227 // उस्सग्गमग्गनिरया वीयपयनिसेविणो वि कारणओ।। तो पुण मूलगुणम्मि, उत्तरगुणेसु वि सइ कइया // 228 // पवज संपत्तं सुपरिक्खिऊण कुलवंता / 15 गिहिवासे वि असंगा, ते साहु चरित्तभद्दकरा / / 229 // इत्यादि // [3, अधिकारः] सम्यक्त्व, ज्ञान अने चारित्रमा तेमज वस्त्रादि विषयोमां के विहारमां-ए सर्वमां सहाय आपीने संयममां स्थिर करे ते ('स्थविर' कहेवाय छे) // 190 // . तप, संयम अने योगमा जे साधु जेने योग्य होय ( एटले जेवा तप वगेरेने योग्य होय ) ते 20 साधुने तेमा प्रवर्तावे अने अशुभ कार्यथी निवारे ते 'प्रवर्तक' गणनी चिंतावाळो (गच्छनो हितचिंतक) कह्यो छे // 191 // ___ आचार्ये वात्सल्य प्रभावना वगेरे कार्योमा प्रवर्तकने नियुक्त कर्ये छते, संघने पण तेवा कार्योमा प्रवर्तावे, ते महत्त्वनां कार्यो करनार 'प्रवर्तक' कहेवाय छे // 192 // __संपूर्ण योगोने वहन करेला होय तथा कालग्रहण वगेरे ( योगना ) अनुष्ठानवाळा होय अने 25 पोते गच्छमां यथायोग्य योगमां उद्यम करे अने बीजाओने करावे ते 'गणी' कहेवाय छे / / 193 // मुनिस्वरूप मुनि महात्माओ गीतार्थ, संविग्न, शल्यविनाना, चार प्रकारना गारवथी रहित, श्रीजिनमतनो उद्योत करनारा अने सम्यक्त्वना प्रभावक होय छे / / 227 / / (वळी मुनिओ) उत्सर्गमार्गमां निरत होय छे, परंतु कारणवशात् बीजा पदने (एटले 30 अपवादने) सेवनारा होय तेमां पण मूलगुणने विषे अने उत्तरगुणने विषे पण कदाचित् एकाद वार ज (अपवादने सेवे छे) // 228 // जेओ कुळवान छे, जेओ गृहवासमां पण असंग ( अनासक्त) हता अने जेओए प्राप्त थयेल प्रव्रज्यानी सारी रीते परीक्षा करीने (प्रव्रज्या माटे पोतानी शक्ति आदिनो विचार करीने ) तेने ग्रहण करी छे, ते साधु महात्माओ चारित्रने सुंदर रीते पाळनारा बने छ / (अथवा बीजो अर्थ:35 आचार्यादिए सारी रीते परीक्षा कर्या पछी जेओ दीक्षाने पाम्या छे एवा....) // 229 // ..