________________ 394 पण्हगभं पंचपरमिट्टिथवणं। [प्राकृत किं सुक्खं ? किं गुणड्ड? किमिह रसयरं ? किं हणतीह वाहा ? धन्नं किं चिंति लोआ ? किमवि पभणए वंजणं ? सीअलं किं / निंदत्थं बेइ जीवं कमह जणगणो कं व देसं ? जिणिंदा / भासते किं पयं ? जं अणवरयमहो झाणजुग्गं मुणीणं // 5 // . . 5 णमो लोए सव्वसाहूणं / ' [अष्टदलकमलम् / ] ___ वृत्तिः किं सुअं न ऋणम् / ऋकारस्याकारे तल्लोपे च सति न ऋणमिति ऋणाभावे सौख्यम् / मुनीनां भावो मौनम् / मुनित्वं श्रामण्यगुणाढ्यं मौनं सर्वार्थसाधनम्' इति वचनात् , मौनिं वच]ना भावो वा लोणं लवणरसः / [ह]रिणं नन्ति व्याधाः / स ए...त्य विशेष......वणं जलं काननं वा सो ण श्वा [ज]ननिन्दार्थ जनो ब्रूते एष श्वेति / कं वा देशं देशविशेषं जनगणो ब्रूते 10 हूणमिति / जिनेन्द्राः कं पदमुपदिशन्ति यदनवरतं निरन्तरं ध्यानयोग्यं मुनीनां 'न(ण)मो लोए सव्वसाहूर्ण' इति // 5 // [विविध प्रश्नोना उत्तर वडे प्रकट थता पदोना आद्य वर्णोथी 'णमो लोए सव्वसाहूणे' पद प्रकटे छे, ते आ रीते-] (1) प्रश्न-सुख शुं छे ? उत्तर-णणं-x (न ऋणं-नर्ण)-करज न होय ते / (2) प्रश्न-गुणथी विशिष्ट शुं छे ? उत्तर-मोणं-(मौनं )-मुनिपणुं मौन-(वचनगुप्ति)। (3) प्रश्न-उत्तम रसवालं शुं छे ? उत्तर-लोणं-(लवणं)-मीठं / (4) प्रश्न–शिकारीओ कोने हणे छे ? उत्तर-एणं-मृगने / (5) प्रश्न-लोको धान्यने शुं कहे छे ? उत्तर-सणं-(शणं )-शण नामनुं धान्य / (6) प्रश्न-व्यंजनने माटे कयो शब्द वपराय छे ? अथवा शीतल शुं छे ? उत्तर-वणंx-( वण्णं)-(वर्णः) व्यंजन अथवा वणं-(वन )-जल के जंगल / (7) प्रश्न-निंदा माटे कया जीवने सरखावे छे ? उत्तर-साणं-(श्वानं )-कूतराने / (8) प्रश्न-जनसमूह कया देश (देशविशेष )ने कहे छे-निंदे छे।। उत्तर-हूणं-(हूणम् )-हूणने / (हूण ए देशविशेषतुं नाम छे)। (9) प्रश्न-मुनिओने सतत ध्यान करवा योग्य कया पदने जिनेश्वरो उपदेशे छे ? उत्तर-णमो लोए सव्वसाहूणं-'ए पदने / 20 xण+अणं-ऋणं / प्राकृत संधिना नियम प्रमाणे अहीं एक 'अ'नो लोप थवाथी ‘णणं' थाय छे / 4 वण आ पदमा एक ज व छे त्यां चित्रकाव्यने लीधे सव्व मा रहेला बे व मांथी एकने छोडी दीधो छे. * श्लोकमा णणं, मोणं, लोणं, एणं, सणं, वणं, साणं, हूणं, आ पदोना पहेला अक्षरोथी पद णमो लोए सव्वसाहूर्ण पद प्रकट थाय छ /