________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। + य बीहंति संराणं विजाहरदेव-नरवरिंदाणं / जाण इमो नवकारो साँस व्व पइडिओ कंठे // 7 // जह अहिणा दट्ठाणं गारुडमंतो विसं पणासेइ / तह नवकारो मंतो पावविसं नासइ असेसं // 8 // किं एस महारयणं किंवा चिंतामणि व्व नवकारो। किं कप्पहुमसरिसो नहु नहु ताणं पि अहिययरो॥९॥ चिंतामणिरयणाई कप्पतरू ईक्कजम्मसुहहेऊ / नवकारो पुण पवरो सग्गपवग्गाण दायारो // 10 // जं किंचि परमतत्तं परमप्पयकारणं च जं किंपि / तत्थ इमो नवकारो झाइजइ परमजोगीहि // 11 // जो गुणइ लक्खमेगं पूएइ विहीइ जिणनमुकारं / तित्थयरनामगुत्तं सो बंधइ नत्थि संदेहो // 12 // *जो पुण लक्खमणूणं परिअड्डेऊण पूअए संघ / सो तइयभवे सिज्झइ अहवा सत्तहमे जम्मे // 13 // - आ नवकारने श्वासनी माफक जे कंठने विषे धारण करे छे, ते देवताओथी बीता नथी 15 अने विद्याधर के चक्रवर्तीओथी पण भय पामता नथी // 7 // - जेम गारुडमंत्र सर्पथी करडायेलाना विषनो नाश करे छे, तेम नवकार मंत्र समप्र पापरूपी विषनो नाश करे छे // 8 // शुं आ नवकार महारत्न छे ? अथवा चितामणिरत्न के कल्पवृक्ष समान छे ? नहि, नहि ए तो तेनाथी पण वधारे श्रेष्ठ छे; कारण के चिंतामणिरत्न वगेरे अने कल्पतरु तो एक जन्ममां 20 सुखनां कारण छे, ज्यारे श्रेष्ठ एवो नवकार तो स्वर्ग अने मोक्षने आपनारो छे // 9-10 // जे काई परमतत्त्व छे अने जे कोई परम पदनुं कारण छे, तेमां पण ते नवकारतुं परम योगीओ चितवन करे छे (मतलब के बधामा सारभूत नवकार ज छे / ) // 11 // जे एक लाख नवकारने गणे छे अने विधिपूर्वक श्रीजिनेश्वरदेवने पूजे छे, ते श्रीतीर्थकर नाम-गोत्रने बांधे छे, एमां संदेह नथी // 12 // वळी, जे निश्चयपूर्वक लाख नवकार गणीने संघनी पूजा करे छे ते त्रीजे भवे अथवा सातमा के आठमा जन्ममां सिद्ध थाय छे // 13 // 25 1नव सिरि हंति SJ3 नव सिरि हवंति A1 2 ताणं | 3 °र नेयन / 4 नव व | 5 जेण / .6 सासु व्व ; निच्चं चिअ 7 एगज AJI 8 किंचि / 9 तत्थ वि सो; तत्थ विजिणन 10 कारो। * नास्तीयं गाथा आदर्श विना कस्याचितू प्रतौ। * A आदर्श 22 अकाङ्कितायाः गाथाया अकः 18 //