________________ नमस्कार स्वाध्याय। 379 विभाग] (स्तोत्र-परिचय) ___आ स्तोत्रनी मूळ नकल जैन साहित्यविकास मंडळना संग्रहमा हती, ते परथी अहीं संपादित करी अनुवाद साथे आपवामां आवेल छे। S संज्ञाथी जै. सा. वि. मं. नी नकल जे मूळ आदर्श तरीके राखवामां आवी छ। J संज्ञाथी श्री जिनविजयजी मुनिए छपावेलां फोर्मो ऊपरथी पाठांतरो लीधां छे। / आ स्तोत्रनां 'नमुक्कारफलपगरणं' अने 'वुड्डनमुक्कारफलथुत्तं' एवां नामो पण मळे छ। केटलाक आचार्योए आ स्तोत्रनी गाथाओने पोतानी कृतिमां प्रमाण तरीके नोंधी छे ज्यारे केटलाक संग्रहात्मक ग्रंथोमां आ स्तोत्रनी गाथाओनो संग्रह करेलो जोवामां आवे छे। ___ आ स्त्रोत्रना कर्ता श्रीजिनचंद्रसूरि, जेओ श्रीजिनेश्वरसूरिना शिष्य हता एम आ स्तोत्रनी छेल्ली 118 मी गाथामां नोंधवामां आव्युं छे। .. 10 तेओ श्रीअभयदेवसूरिना वृद्ध सतीर्थ्य हता। श्रीअभयदेवसूरिनी विनतिथी 'संवेगरंगशाला' (आराधना ) नामक ग्रंथ प्राकृतमां रच्यो छे; तेनुं संशोधन श्रीप्रसन्नचंद्रसूरि, श्रीगुणचंद्र अने श्रीजिनवल्लभगणिए कयुं हतुं ए ज जिनचंद्रसूरिए आ स्तोत्रनी रचना करेली छे / आ स्तोत्रमा नमस्कारनुं फळ विशद अने सचोट रीते दर्शाववामां आव्यु छ। . AAPAN TRAIATTARAIPHATA NEWATYAIRLOTTERNA