________________ 18 प्र विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। इहपरलोयसुहयरो इहपरलोयदुहदलणपञ्चलओ। एस परमिडिविभवो भत्तिपउत्तो नमुक्कारो // 61 // किं वनिएण बहुणा तं नत्थि जयम्मि जं किर न सको। काउं एस जियाणं भत्तिपउत्तो नमुक्कारो // 62 // जइ ताव परमदुलहं संपाडइ परमपयसुहं पि इमो। ता तदणुसंगसज्झे तदन्नसुक्खम्मि का गणणा ? // 63 // पत्ता पाविस्संती पार्वति य परमपयपुरं जे ते / पंचनमुक्कारमहारहस्स सामत्थजोगेणं // 64 // सुचिरं पि तवो तवियं चिन्नं चरणं सुयं च बहुपढियं / जइ ता न नमुक्कारे रई तओ तं गयं विहलं // 65 // चउरंगाए सेणाऍ नायगो दीवगो जहा होइ / तह भावनमुक्कारो देसणतवनाणचरणाणं // 66 // भावनमुक्कारविवजियाई जीवेण अकयकजाई / / गहियाणि य मुक्काणि य अणंतसो दवलिंगाई // 67 // तम्हा नाऊणेवं जत्तेण तुमं पि भावणासारं / आराहणाकयमणो मणम्मि सुंदर! तयं धरसु // 68 // परमेष्ठीना वैभववाळो भक्तिप्रयुक्त आ नमस्कार आ लोक अने परलोकमां सुखने करनारो छे तथा आ लोक अने परलोकनां दुःखने दळवामां समर्थ छे // 61 // वळी, वधारे वर्णन करवाथी शुं ? आ जगतमां तेवू काई ज नथी के जे खरेखर भक्तिपूर्वकप्रयुक्त आ नमस्कार वडे जीवोने प्राप्त न थाय // 62 // - परम दुर्लभ एवा परम-पदनां सुखोने पण जो आ पमाडे, तो तेना अनुषंगथी अन्य साध्य सुखोनी तो गणना ज शी ? // 63 // परमपदपुर-मोक्षने जेओ पाम्या छ, पामशे अने पामे छे, ते सर्वे पंच-नमस्काररूपी महारथना सामर्थ्य-योगे ज छे // 64 // ___लांबा काळ सुधी तपने तप्यो, चारित्रने पाळ्युं, अने घणां शास्त्रोने भण्यो पण जो नमस्कारमां 25 प्रेम न लाग्यो तो ते सघळु निष्फळ गयुं (जाणवू)॥ 65 // चतुरंगी सेनामां जेम सेनानी दीपक समान छे, तेम दर्शन-ज्ञान-चारित्र अने तपनी आराधनामां भाव-नमस्कार दीपक समान छे // 66 // ___भाव-नमस्कार रहित जीवे अनंतीवार न कराय एवां कार्योने अने द्रव्यलिंगने निष्फळपणे प्रहण कर्या तेमज मूक्यां, एम समजीने हे सुंदर ! तुं आराधनामा एक मनवाळो बनी भावपूर्वक 30 ते (भावनमस्कार )ने मनमा धारण कर // 67-68 // 20 1 °विसओ। 2 गमझे। 3 deg2 वि तवो S; deg2 च तवो।