________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। 360 (1) धण्णा हु बाल-मुणिणो अणणिय-पेम्मा अणाय-विसय सुहा। . अवहत्थिय-जिय-लोया पयजं जे समल्लीणा // [ 213-52 ] धण्णा हु बाल-मुणिणो उजुय-सीला अणाय-घर-सोक्खा / विणयम्मि वडमाणा जिण-वयणं जे समल्लीणा // [213-26 ] धण्णा हु बाल-मुणिणो कुटुंब-भारेण जे य णोत्थइया / जिण-सासणम्मि लग्गा दुक्ख-सयावत्त-संसारे // [213-27 ] धण्णा हु बाल-मुणिणो जाणं अंगम्मि णिव्वुडो कामो। ण वि णाओ पेम्म-रसो सज्झाए वावड-मणेहिं // [213-28 ] धण्णा हु बाल-मुणिणो जाय चिय जे जिणे समल्लीणा / ण-य( या )णंति कुमइ-मग्गे पडिकूले मोक्ख-मग्गस्स // [213-29] 10 इय ते मुणिणो धण्णा पावारंमेसु जेण वटुंति / सूडेंति कम्म-गहणं तव-कड्डिय-तिक्ख-करवाला // [213-30 ] प्रेमने गण्या वगर, विषयसुखने जाण्या वगर, जीवलोक ( संसार ) नो त्याग करीने जेओ प्रव्रज्यामां सारी रीते लीन थया छे ते बालमुनिओने धन्य छ / [213-25 ] - जेओ सरल (शील ) वर्तनवाळा छे, घरवासना सुखथी जेओ अज्ञात छे, विनयमां जेओ15 प्रवर्तमान छे अने जेओ श्री जिनेश्वर भगवानना वचनमां सारी रीते लीन छे एवा बालमुनिओने धन्य छे // [213-26 ] सेंकडो दुःखना आवळ्थी भरेला संसारमा (पण) जेओ कुटुंबना भारथी आच्छादित नथी थया, दबाया नथी अने श्री जिनेश्वर भगवानना शासनमां प्रीतिवाळा थया छे एवा बालमुनिओने धन्य छे // [213-27] खाध्यायमां मन लागी गयेल होवाथी जेमना शरीरथी काम निवृत्त थयो छे (जेमना शरीरमां काम प्रवेशी शक्यो ज नथी ) अने ( तेथी) जेओए प्रेम( काम )नो रस जाण्यो ज नथी एवा बालमुनिओने धन्य छे // [213-28 ] जेओ जन्मतां ज ( दीक्षा लेतां ज) श्रीजिनेश्वर भगवान( ना शासन )मां सारी रीते लीन थया छे अने जेओ मोक्षमार्गने प्रतिकूल कुमतिमार्गने जाणता (ज) नथी ते बालमुनिओने 25 धन्य छे. [213-29] . ए प्रमाणे ते मुनिओने धन्य छे के जेओ पापारंभमां वर्तता नथी अने तप रूपी तीक्ष्ण तरवार खेंचीने ( काढीने ) कर्मरूपी वनने सूडी नाखे छे [213-30] 20