________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / 347 सिद्धाण णमोकारो करेमु भावेण कम्म-सुद्धाण / भव-सय सहस्स-बद्धं धंत कम्मिंधणं जेहिं // [277-26 ] सिझंति जे वि संपइ सिद्धा सिझिंसु कम्म-खइयाए / ताणं सव्वाण णमो तिविहेणं करण-जोएण // [277-27 ] जे केइ तित्थ-सिद्धा अतित्थ-सिद्धा व एक-सिद्धा वा / अहवा अणेग-सिद्धा ते सव्वे भावओ वंदे॥[२७७-28 ] जे वि सलिंगे सिद्धा गिहि-लिंगे कह वि जे कुलिंगे वा। तित्थयर-सिद्ध-सिद्धा सामण्णा जे वि ते वंदे // [277-29 ] इत्थी-लिंगे सिद्धा पुरिसेण णपुंसएण जे सिद्धा / पञ्चेय-बुद्ध-सिद्धा बुद्ध-सयंबुद्ध-सिद्धा य // [277-30] जे. वि णिसण्णा सिंद्धा अहव णिवण्णा ठिया व उस्सग्गे / उत्ताणय-पासेल्ला सव्वे वंदामि तिविहेण // [277-31] णिसि-दियस-पदोसे वा सिद्धा मज्झण्ह-गोस-काले वा / कालविवक्खा सिद्धा सव्वे वंदमि भावेण // [277-32] जोव्वण-सिद्धा बाला थेरा तह मज्झिमा य जे सिद्धा। . दीवण्ण-दीव-सिद्धा सव्वे तिविहेण वंदामि // [ 278-1 ] : श्री सिद्ध भगवंत लाखो भवोमां बांधेलं कर्मरूपी इंधण जेओए धम्युं छे, ते कर्ममळथी रहित थयेला सिद्धोने अमे भावथी नमस्कार करीए छीए // [277-26 ] . जेओ कर्मक्षयथी वर्तमानकाळमां सिद्ध थाय छे, भूतकाळमां सिद्ध थया छे अने भविष्यमां 20 सिद्ध थशे ते सर्वने त्रणे प्रकारना करणयोगथी (मन, वचन अने कायाथी ) हुं नमस्कार करूं छं॥ [277-27 ] .. जे कोई तीर्थसिद्ध थया, अतीर्थसिद्ध थया, एकसिद्ध थया अथवा अनेकसिद्ध थया ते सर्वने हुं भावपूर्वक वंदन करुं छं॥ [277-28] जे कोई स्वलिंगे सिद्ध थया, गृहस्थलिंगे सिद्ध थया; वळी जेओ कोई रीते अन्यलिंगे सिद्ध 25 थया, जेओ तीर्थंकरसिद्ध थया अने जे कोई सामान्य केवलिपणे सिद्ध थया तेओने हुं वंदन करूं छु // [277-29] जेओ स्त्रीलिंगे सिद्ध थया, पुरुषलिंगे सिद्ध थया, नपुंसकलिंगे सिद्ध थया, प्रत्येकबुद्ध सिद्ध थया, बुद्धबोधित सिद्ध थया अथवा स्वयंबुद्ध सिद्ध थया; वळी जेओ बेठेला सिद्ध थया, विशिष्ट प्रकारना काउस्सग्गमां ऊभा सिद्ध थया, चत्ता, सूतेला अथवा पडखे सूतेला सिद्ध थया ते सर्वेने 30 हुं त्रिविधे वंदन करुं छु // [277-30-31] रात्रिना समये, दिवसना समये, संध्या समये, मध्याह्न समये अथवा प्रातःकाळ समये जेओ सिद्ध थया अथवा काळनी अपेक्षा वगर जेओ सिद्ध थया ते सर्वेने हुं भावपूर्वक वंदु छ // [277-32] जेओ यौवनमां सिद्ध थया, बाळपणे सिद्ध थया, स्थविर ( वृद्ध )पणे सिद्ध थया, मध्यमवये सिद्ध थया, जेओ द्वीप के समुद्रमा सिद्ध थया ते सर्वेने हुँ त्रिविधे वंदन करूं छु. // [278-1 ] 35 १णिवण्ण = कायोत्सगेनो एक प्रकार,