________________ 324 नमस्कारव्याख्यानटीका। [प्राकृत त्रैलोक्यं तूत्तम-मध्यमाधमस्य दत्तम् , तथा 'मंत-तंताई' इति संयोगेन करलेपानि कथितानि / तथा कर्म(म्म)सहायो होउ पूयणमंतेहिं मंतिउ काउं। बीयाइं चाविजंसु उयरे तह सिक्खवाला वा // 1 // 6 "ॐ नमः पूतनायै अवटे बन्ध बन्ध मण्डलं बन्धामि / श्रीपूतनाया वचनेन बन्धामि सिद्धसि( हि ?)माचल स्वाहा ॥"-सिद्धविद्या // किन्हमि इयाय दाउं सिहिसिरिपयरेसु सिपाहबीयाउ / ताणं सुकुसुमियाणं गिन्हह तह वक्कलं निउणं // 2 // काउं सुसण्णरजं गंठीउ तिन्नि जस्स गीवाए। बझंति सोयमोरो पब्भारकलाविओ होइ // 3 // सवणेहि सुणेइ अच्छीहि पिच्छए विंदए य अप्पाणं / मुक्केण पुणो सहस त्ति जाण पुरिसुत्तणमुवेइ // 4 // किन्ह वि दंभ सीसम्मि वग्धवायस्स अहिस्स तह मासा। . . या विजह किन्हचाउद्दसीह दाऊण कन्हमिया // 5 // परिणयफलेहि ताणं वयणे निहिएहिं लोयमज्झम्मि। होहविराला नाया उद्धरिए तह पुणो पुरिसा // 6 // ससिण कविलस्स वयणे सिणबीयं ठाविऊण तस्स पुणो। परिणयफलस्स तह छक्कलेहि काऊण गंठि नियं // 7 // गीयाए कसिणचाउद्दसीहि वत्सइ नरस्स तं जस्स। सो होइ सारमेओ निभंतं कुडिललाङ्कलो // 8 // मीणस्स मुहे निउणं फलेहिं फलं ठाविऊण भूयदिणे। अत्थो अणेण सिंचह अणुदियहं तं पि बुद्धतं // 9 // कुसुमाइ तस्स चित्तूण वहिऊणं च मीणतिल्लेणं / आलेवह नियसोत्ते कयनियमो वासिओ होउं // 10 // सरियाए सायरगामिणीए रयणायरस्स जं रयणं / ' तं सव्वं गिन्हह थल ठियव्वं पउराओ विजलाओ॥ 11 // अन्नंतीए रसेण मीणवसाए य नाहिलेवेणं / . उवरि पिएइ पिच्चं फलेहि कडिसंठिएहिं च // 12 // अह उण तीयफलेहिं रयणीए पिओ वणम्मि वुच्छेहिं / भावियपडपाउरणो जं पिच्छइ तं वसे कुणइ // 13 // तीए य जडातीए पन्नं जाईरसेण वदे॒ह / के नत्थि नासभरणा तक्खणदट्ठोवि जीवेइ // 14 // दाउं उंबरमूलं मट्टिया सुयण नउलसीसम्मि / वाविय पवड्डिजायं अयसीणं पत्तगुलिएहिं // 15 // तीए फलाई रुहिरेण भूयदिणे रंजिऊण पक्खिवसु / एकेक तह चउद्दसीसु विदिसासु अहिकडिणत्थं पि // 16 // ते फणिणो अंजणरयणमोसहं गिन्हिऊण वयणेणं / अणंति ताण दिजह भोयणं छीरनुघसम्मं // 17 //