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________________ [प्राकृत SI 298 नमस्कारव्याख्यानटीका। पञ्चभ्यः पञ्चविंशदिवसगतिरुहाऽऽरोहिते पञ्चवृद्धया, तत् स्यादेकोत्तरेण त्रिगुणितदशकं ज्युत्तरं यावदेति / काले पौष्णे समास्ते त्रिनयनशशिनः षट्तियामेन्दवो ये, . ___ मासास्ते हानिशेषास्तिथि-दिशिषु गुणा द्वीन्दयो जीवितस्य // 20 // 5 दिनवर्ष 3, दिन 10, वरदिन 20, मास 6, दिन 25, मास 3, दिन 26, मास 2, दिन 27, मास 1, दिन 28, दिन 29, दिन 10, दिन 30, दिन 5, दिन 31, दिन 32, दिन 2, दिन 3, दिन 15 एवमिति // उदये चन्द्रमार्गेण, सूर्येणास्तमनं यदि / उदिते गुणसंयुक्तं, विपरीते विघ्नं भवेत् // 21 // उदयः सूर्यमार्गेण, चन्द्रेणास्तमनं यदि / उदिते गुणसंयुक्तं, विपरीते विघ्नं भवेत् // 22 // मेषे धनुषि सिंह च, तुलायां मिथुने घटे। उदयो दक्षिणे ज्ञेयः, शेषेसु च निशाकरः // 23 // प्रतिपदाद्या विजानीयाद् , योगी [सद्ग? ]तमानसः। . यद् द्योतते प्रत्यूषकाले, विपरीतं विघ्नं भवेत् // 24 // शुक्लपक्षे भवेद् वामा, कृष्णपक्षे तु दक्षिणा। त्रीणि त्रीणि दिनान्याह, उदये चन्द्र-सूर्ययोः // 25 // प्रथमे चैव उद्वेगं, द्वितीये धनहानिदम् / सृतीये गमनं कुर्यादिष्टनाशं चतुर्थके // 26 // पञ्चमे राजविष्कम्भः, षष्ठे राज्यं घिनश्यति / सप्तमे तु महाघोरमष्टमे मृत्यु निश्चितम् // 27 // उदयाद् घटिकासंख्या, लग्नं चैकत्र कारयेत् / नवभिस्तु हरेद् भाग, पञ्चकं परिवर्जयेत् // 28 // मन्त्रणे क्लेशे चौरेच, राजन्ये ऽग्नौ" तथा परे / युगाष्ट दश-मार्तण्ड-तिथिषु स्यादुपद्रवः // 29 // तथा नवभिर्भागे हृते तथा पञ्चभिर्बालादिस्वरप्रमाणेन वक्तव्यं लाभादिपच्छायाम् // करे--शर्शि-युर्ग-शिक्षि-कर-कर-शक्रादिव रुद्रपर्यन्ताः। यंत्र नं.१० यामभतिथिषु ध्रुवाङ्कास्तानामूलोद्धृताः शेषाः // 1 // हर्षति तच्छेषं वारस्तुल्यो स दिनपादिः। प्रच्छोटय खेटः सन् सौम्योऽभीष्टफलप्रदो न खलः // 2 // तस्माद् यस्मिन् कार्य, साध्यं तत्रैव गम्यते यो वा। आगच्छति देशो वा, परचक्रं प्रयत्नेन // 3 // दिग-ध्रुवसंख्ये चान्ये, दत्त्वाऽथ स्थापितान् मुनिभिर्दत्ते न(?) / शेषाः पूर्ववदुदिताऽऽकलय्य रिपु-मित्रता तत्र // 4 // पञ्चस्वरस्थापना35 आये च यदि च सौम्यः पापोऽप्यन्ते ग्रहादयस्तत्र। पृच्छायाम्। वक्तव्यं तत् कार्य सिद्धमपि विनाशमुपयाति // 5 // यद्याद्ये पापः स्यात् सौम्यः कार्यग्रहस्तदा नित्यम् / कर्ता विप्राश्लिष्टः कार्य निर्विघ्नरूपत्वम् // 6 //
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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