________________ 283 विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। चत्तारि मंडलाई सत्तमवग्गेण हुंति जुत्ताई। पुढवी-सलिल-हुयासण-पवणं च नहगणं तत्तं // 7 // तत्ताई मंडलाइ माला विजा उ मंत-चक्काई / सिझंति हु विजाओ बहुएहिं जाव होमेहिं // 8 // जं पुण जिणिदतत्तं दुलहलाहं जयम्मि जीवस्स / पुण्णरहिओ न पावइ बहुएहिं कालक्खेवेहिं // 9 // अट्ठदलकमलमज्झे सुन्नं नामेण संजुयं देहि / उवरितलरेहरुद्धं सबिंदु-कलसंजुयं तत्थ // 10 // [2] झाएह विमलधवलं सासनिलीणं निरक्खरं जाव। तव संजमसंजुत्तं सुक्खं देहस्स कम्मस्स // 11 // [3] अक्खय॑सुक्खं लब्भइ किं बहुणा नेह अन्नसिद्धीए / इयरेण अन्नसिद्धी अइदुलहा सव्वलोयम्मि // 12 // [4] परमेट्ठिपंचनव अक्खरेहिं वेढेह सरसमाउत्तं / पुरह पुव्वाइ दले अट्ठहि वग्गेहि पत्ताई // 13 // *[5] सत्तक्खरं च मंतं परमिट्ठिपयाण होइ जं पढमं / तस्संतरेसु दिजओ उ8 कमलस्स रेहाणं // 14 // [7] वेढेह तिउणपउमं मायावीएण धवलवण्णेणं / सेयंवरभुज्जदले लिहिज सुहकरण-जोएण // 15 // [9] गोरोयण-चंदण-कुंकुमेण कैप्पूर-सुरहिदव्वेण / / लिहियं चौमीकरलेहणीए सुइभूमि-सुद्धदेसम्मि // 16 // बहुसुरहिकुसुम-अक्खय-नाणाविहधूव-बलि-निविजेहिं / पूंजहि कलसनिहित्तं विसुद्धभूमीइ पयडं वा // 17 // [10] को करह सत्तदियहा गुरुपूया एस सिद्धचक्कस्स।। गह-भूय-जक्ख-रक्खस-दुट्ठजरा जंति उवसामं // 18 // [11] 28 1 माला विहु मंत-तंत-चक्काइं U V A1 2 °हलंभं J VA | 3 °लगन्भे N / 4 देह। 5 उवरितलिरेह° N / 6रुद्धं बिंदु-कलासंजुयं तत्तं A N / 7 °लं नासालीणं Jv / सीसलीणं N / 8 जावं A1 9 °जुत्तो सु°N, जुत्तो मुक्खं J VAI 10 °यसोक्खं J V / 11 °णा इत्थ अन्नसिद्धिओ N, णा अन्नसिइत्थ सि° JvA | 12 अयरेण J111 13 °द्धी न हु दुलहा मच्चलो / 14 परमिट्ठिपंचनमणक्ख°N | 15 पंचनामक्ख° J v / 16 °माजुत्तं N / 17 पूरह पुव्वाइदले अट्ठदलेहिं च वग्गेहिं N / * N आदर्श त्रयोदशगाथानन्तरमियं गाथाऽधिकी-“पत्ताण मज्मभाए अंते चिय जहयहोणु दायव्यो / सव्वन्नुरूवतेया अणाहया सव्वदुक्खनासपरा // 6 // JVA आदर्शेषु तस्याः पाठमेद एतत्प्रकारेण लभ्यते-“कमलस्स मज्झभाए, अन्ने वि य तह य होइ दायव्वं / सव्वन्नुतेयरूवा अणाया सव्वदुक्खनासकरा। 18 पत्तंतरेसु दिजह ऊढं कमलस्स रेहाहिं NI IN आदर्श चतुर्दशगाथानन्तरं गाथेयमधिकी"तं पणवबीय अरिहं नमो जिणाणं ति एवमाईहिं / गणहरपएहिं पायाहिणेण परिवेढियं सरह // 8 // " 19 तिउणं पणवं rl, 121 20 सेयवर उज्जपत्ते rl 12 / 21 सुहदव्वजोएण। 22 गोरोयणकुंकुमेणं J AN 23 कत्थूर° 11 121 24 चामीयरलेहणीए J VAI 25 निवएहिं N निवहहिं J VAI 26 पूजह कमलनिहितं N / 27 °भूमीए भत्तीए N; भूमी य प JVI 28 जो पूयइ सत्तदिणे गुरुपूयाए स सिद्धचक्कस्स N; जो करइ सत्तवारा गु°J VAI