________________ 10 282 नमस्कारव्याख्यानटीका। [प्राकृत वर्षिणि अमृतस्रव( वे ) अमृतश्रव( सवे ) स्रावय स्रावय सं क्लीं क्लीं ब्लू ब्लू द्राँ द्रौँ द्रावय द्रावय ह्रीँ इवाँ स्वाहा / ' गोस्तनमुद्रा, शिरसि कलशः / ___विमलाय विमलचित्ताय ज ज व व भाँ इवी इवीं वाहा।' अञ्जलिमुद्रा / मरुदेव्यादि 24 [ मातरः ] मम संनिहिता भवन्तु, आगच्छन्तु आगच्छन्तु संवौषट् / एतासां वामाके जिनः, 5 तासां वामहस्ते फलं, दक्षिणे मातृहृदि, तासामञ्जलिपुष्पाणि, उपरि फलानि, पुत्रमुखं पश्यन्त्यश्चिन्तनीयाः।* तथा रोहिण्यादि 16 मम संनिहिता भवन्तु आगच्छन्तु संवौषट् / तासामुपरि दक्षिणे चक्रम् , वामेऽकुशम् , अधस्तनयोः फलं केसो (?) / 'अरिहंत-सिद्ध-आचार्य-उपाध्याय-साधु' पञ्चपदानि अङ्गुष्ठादिषु पञ्चस्वङ्गुलीषु वार ३-एवमात्मरक्षा पूर्वोक्ता कर्तव्या / तथा मरुदेव्याद्याह्वानं पूजां च स्वकीयमन्त्रेण कर्तव्या / मध्ये पार्श्वनाथप्रतिमा, पद्मावतीमस्तके फणा 3, तासामुपरि हौँ 3, मन्त्रमणनं वार 7 // इति सिद्धचक्रध्यातव्यविधिः // श्रीसिद्धचक्रमहिमापद्धतिस्तवनम् // अन्नं च सिद्धचक्कं कहियं विजाणुवायपरमत्थं / / नाएणं जेण सहसा सिझंति महंतसिद्धीओ // 1 // [1] . अ क च ट त प य स वग्गा एयाणं होइ मंतसंभूई / माहिंद-चारुणानल मारुजुत्तेहिं वण्णेहिं // 2 // वैजट्ठारहभिन्नं चउरस्सं पुढषिबीयसंजुत्तं / कोणं निहत्ते जाणह सत्तम-तैईएण माहिंदं // 3 // चंदद्धकलसरूवं वियसियकमलेण धवलवण्णेण। सत्तम-चउत्थकोणं काउं मज्झम्मि वरुणस्स // 4 // जालासहस्सपउरं सत्थियरेहाहिं बिंदुमज्झम्मि। लिहियं तिकोण उर्दू अग्गेयं मंडलं नाम // 5 // किन्हं वट्टलरूवं सत्तम-पढमेण वंकरेहाहिं। घणबिंदुपवणजुत्तं दुलक्खं तं जिणुहि // 6 // * [जूओ चित्र नं. 3] आ स्तवनना पाठमेद लेवामां नीचेनी छ प्रतिओनो उपयोग को छ। 1. जैन साहित्य विकास मंडलनी फोटोस्टेटिक नकल, जे श्रीविजयमोहनसूरिशास्त्रसंग्रह, पालीताणानी मूल प्रति छे, तेनी संज्ञा। 2. v वडोदरा, श्रीआत्मारामजी जैन ज्ञानमंदिर-प्रति नं. 1509 नी संज्ञा / 3.A डभोई, श्री अमरविजयजी जैनज्ञानभंडार-प्रति नं. 506 // 3694 नी संज्ञा। 4. N सिद्धचक्रबृहत्पूजनविधि, प्रकाशकः श्रीनेमि-अमृत-खांति-निरंजनग्रंथमाला, अमदावाद, पृ. 53, 54 मा छे, तेनी संज्ञा / तेमां आ स्तोत्रनी पंदर गाथाओ ज मात्र छे, जेनो [ ] आवा कौंसमां अंक अहीं बताव्यो छ / 5. 1 1 पू. मुनिराज श्रीयशोविजयजी महाराज पासेनी 13 पानानी प्रतिनी संज्ञा / 6. 12 पू. मुनिराज श्रीयशोविजयजी महाराज पासेनी 46 पानानी प्रतिनी संज्ञा // 1 एयं च N / 2 नाणेण A / 3 वायवजुत्तेहिं वत्तेहिं J VAI 4 वग्गक्खरेहि मिन्नं बीयंदचउरंसपुढविसं० JvAI 5 काणे निहित्ते J VAT 6 °तईयाण J VA 17 चंदट्ठकलसरेहिं 11, Y218 कोणे पायारम J VAI 9 ही अग्गिम JVA | 10 तिकोणे दुअंJ VAI