________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / 275 चतुर्विंशतिदलेषु / हाँकारत्रिवेष्टितं चक्रं, अष्टौ दिग्नामानि, नवग्रहा आदित्यादि, वायव्ये गुरुपादुकेभ्यो नमः / वरुणे नागाः, चतुर्दिग्भागे ‘क्षि' उपरि चतुर्विंशतिजिनाः पंचजिण कणयवन्ना सत्तो हेमप्पहो य दो धवला / दो चामीयरवन्ना रत्ता छच्चेव कणयपहा // 27 // मरगयनीलो अलिसामलो य कंचणनिहो य अलिसामो। तह य तमालदलाभो सुवन्नवन्नो जिणो वीरो // 28 // इति चतुर्विंशतिजिनाश्चतुर्दिक्षु // अष्टापदप्रमाणेत्यादौ चैत्यमन्तः अत्र पूजयेत् / पूर्वादि-ऋषभादिजिना परं दक्षिणादक्षिणादि चत्तारि अट्ठ दस दो य वंदिया जिणवरा चउवीसं / परमट्ठनिट्ठियट्ठा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु // 29 // 10 तथा-"ॐ ह्रीं श्री अहे ऋषभनाथाय नमः / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहे अजितनाथाय नमः२। ॐहाँ श्रीँ अर्ह संभवनाथाय नमः 3 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह अभिनन्दननाथाय नमः 4 / ॐ हाँ श्री अर्ह सुमतिनाथाय नमः 5 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं पद्मप्रभनाथाय नमः 6 / ॐ ह्रीँ श्री अहै सुपार्श्वनाथाय नमः 7 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं चन्द्रप्रभनाथाय नमः 8 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहै शीतलनाथाय नमः 10 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं श्रेयांसनाथाय नमः 11 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह वासुपूज्याय 15 नमः 12 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अँहे विमलनाथाय नमः 13 / ॐ ह्रीँ श्री अह अनन्तनाथाय नमः 14 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं धर्मनाथाय नमः 15 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं शान्तिनाथाय नमः 16 / ॐ हाँ श्रीँ अर्ह कुन्थुनाथाय नमः 17 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहँ अरनाथाय नमः१८। ॐ ह्रीँ श्रीँ अहे मल्लिनाथाय नमः 19 ॐ ह्रीँ श्रीँ अहँ मुनिसुव्रतस्वामिने नमः 20 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अहँ नमिनाथाय नमः 21 / ॐ ह्रीं श्रीं अह नेमिनाथाय नमः 22 / ॐ ह्रीँ श्रीँ अह पार्श्वनाथाय नमः 23 // 20 ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह वर्धमानस्वामिने नमः 24" इत्यादि यथास्थानं वन्दित्वा नमंसित्वा पूजयित्वा च षट्कर्माणि कारयेत् // " 'इहलोइयलाभकरा उवज्झाया' इत्यादिना श्रीपार्श्वनाथं धरणेन्द्र-पद्मावतीसहितं जपेत् / ॐ ह्रीं श्रींकारमहँ दलितकलिमलं दिव्यभूतिप्रणार्थ, क्ली ब्लू हसौँ मन्त्रबीजं भुवनसुखकरं शक्रराज्येन्द्रपूज्यम् / आँ की ही दिव्यरूपं नम इति सहितं वामहस्ते जपित्वा. _श्रीमन्तं पार्श्वनाथं भुजगपतिनुतं देविपद्मावतीशम् // 30 // जिनपरमेष्ठि लक्ष्मी अहँकामेश्वरं तथा ब्लुवम् / जीवाक्षर-विष्णुपदं प्रतीहारमन्त्रराजं च // 31 // ॐ ह्रीँ श्री अहै क्लीं ब्लूँ हसौँ आँ क्रौँ हाँ नमः पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र-पद्मावतीसहिताय 30 ॐ श्री अहे क्लीं ब्लूँ हसौं आँ क्रौँ हाँ नमः॥" संपुटमन्त्रः सर्वकर्मकरः / विषहरणे श्वेतध्यानेनानेन जलमभिमन्य पाययेत् , निर्विषीकरणम् // आजानु कनकगौरं आनाभः शङ्ख-कुन्द-हरधवलम् /