________________ 274 नमस्कारव्याख्यानटीका। सस्थानके विलिखितं हरितालकाधैरैन्द्र शिलातलपदे क्षितिमण्डलस्थम् / सूत्रेण तत् परिवृतं विधृतं धरायां, कुर्यात् प्रसूतिमुखदिव्यगतेनियेधम् // 17 // ___ -लरञ्जिका / (11) लीहालधूमगरलीसुरिलूणरक्तैर्लस्थानकेऽनु विलिखेच्च ढकारबीजम् / प्रेतालयस्य वसने निहितं स्मशाने, विद्वेषितां मिथुनयोरविमध्यसंस्थम् // 18 // -ढरञ्जिका / (12) स्थाने सुलक्ष्मी निजबीजमिन्दोः, सकुमाद्यौर्लिखितं सुभूर्जे / त्रिलोहवेष्टयं विधृतं स्वबाही, करोति रक्षा ग्रह-मारि-रुग्भ्यः // 19 // ___ -श्रीरञ्जिका / (13) 10 प्रत्यनीक महादुष्टविध्वंसनाय सम्यग्दृष्टिसुखोत्पादनाय वा कर्माण्येतानि कार्याणि, बृहत्प्रयोजने समायाते सति-"इहलोइयलाभकरा उवज्झाया हुंतु सव्वभयहरणा / " इति वचनात् // "उवसग्गहरं " स्तोत्रम्[अत्र पञ्चगाथात्मकं 'उवसम्गहरं' स्तोत्रं प्रस्तावक्रमेण लिखितं नेह लिख्यते, सुप्रसिद्धत्वात् / ] अस्य यत्रं यथा--"ॐ हाँ श्रीपार्श्वनाथ-धरणेन्द्र-पमावती ही नमः॥" 15 पणमिय सिरिपासनाह धरणिदह पउमावईसहियं / मायाबीजं नमइ य अट्ठारस अक्खरं मंतं // 20 // ___ अष्टादशाक्षरमन्त्रः मध्येवलकं वृत्ताकारम्- "ॐ ह्रीँ श्री अहै 'नमिऊण पास विसहरवसह जिण फुलिंग' ही नमः।" द्वितीयवलके–'अनुवा गि 1, तक्षक कंकोद्रु 2, पन महापा 3,, शङ्खपुलिकु 4, 20जय-विजय 5, अजिताऽपराजिता 6, जम्मे थम्मे 7, नाराई वीराई // " / अष्टदलम्-"अरिहंत 1, सिद्ध 2, आचार्य 3, उपाध्याय 4, साधु 5, ज्ञानु 6, दर्शनु 7, चारित्रु 8 // " तृतीयवलकम् रोहिणी सुरहिनिसन्ना मोरनिसन्ना तह य पन्नत्ती। कमलम्मि वजसंखल वजंकुस करिवरारूढा // 21 // अप्पडिचक्का गरुडम्मि संठिया पुरुसदत्त महिसीया। कमलनिसन्ना काली वाहेइ नरं महाकाली // 22 // गोरी सीहारूढा कमलारूढा य तह य गंधारी। सम्वत्थ महाजाला विरलार माणवी कमला // 23 // वेरोट्टा य अयगरे तुरगेंदवुत्ता य माणसी हंसे। केसरि उवरि निसन्ना देउ महामाणसी सुक्खं // 24 // षोडशदलेषु [ देव्यः ] लेख्याः। मरुदेवी विजया सेणा सिद्धत्था मंगला सुसीमा य / पुहवीलक्खण रामा नंदा विण्डु जया सामा // 25 // सुजसा सुव्वय अइरा सिरिदेवी पभावई पउमा-। वई य वप्पा सिवा वम्मा तह य तिसला य (लादेवी)॥२६॥