________________ 266 नवकारसारथवणं। [प्राकृत 'पुंसयरा अरहंता धणिद्वापंचगा य सिद्धा य / / दिगुरिक्खा आयरिया नमामि सिरसा य भत्तीए // 21 // अद्दाई जे रिक्खा उवझाया तेसि दितु फलनिवहं / चित्ता साई साहू सासयसुक्खं महं दिंतु // 22 // जमु कन्ना-विस अरिहा मेसो मयरों य अंतिणो सिद्धा / पंचाणण अलि सूरी धणु-मिहुणोऽज्झावया वंदे // 23 // ककड-तुला य साहू दोदह रासी य पंचपरमिट्ठी।। भावेणं थुणमाणो पावई सुक्खं च मुक्खं च / / 24 / / पुव्वाणुपुविहिट्ठा समयाभेएण "कुरु जहाजिटुं / / उवरिमतुल्लं पुरओ "निसिज पुव्वक्कमो “सेसो // 25 // जम्मि" य निक्खित्ते खलु सो चेव हविज अंकविन्नासो / सो होइ समयभेओ वज्जेयव्वो पयत्तेणं // 26 // इच्छियपय” अंकाणं नासब्भासों य भंगपरिमाणं / अंतंकभागलद्धं "ठवियंका पुण पुणुद्धरियं // 27 // "मूलगपंतिदुर्गणं अंको जो ठविय दुन्नि जे अंका। तेसि "दुभंगे काउं निसिज्ज कम-उक्कमेणं तु // 28 // छा०-पुरुषनक्षत्राणि अर्हन्तः, धनिष्ठापञ्चकं च सिद्धाश्च / आचार्या द्विगुनक्षत्रा एतान् वन्दे शिरसा च पुनर्भक्त्या // 21 // आद्याश्च ये नक्षत्रास्ते उपाध्याया गुणनिवहं ददतु / चित्रा-स्वाती साधवः शाश्वतसुखं मह्यं ददतु // 22 // पम जम अन्ते अर्हन्तः, मेष-मकरौ च सिद्धौ। / सिंह-वृश्चिकौ सूरयः, धनुर्मीनावुपाध्यायाः // 23 // [24 गाथातः 28 गाथापर्यन्तमवचूरिन विद्यते / ] . व्या०-[इतः 21 गाथातः 35 गाथापर्यन्तं व्याख्यानं नोपलभ्यते।] 25 अ०-१ पुरुषनक्षत्राणि, धनिष्ठापञ्चकम् , दशनक्षत्राणि। 2 आर्द्रादि यानि नक्षत्राणि तेषाम् , चित्रा स्वातिसमाः। 3 कन्या-वृष(षौ), मेष-मकर(ग), सिंह-वृश्चिक(कौ), धनुर्मिथुन(नौ), कर्क-तुला(ले), पञ्चपरमेष्ठि[ नः] स्तूयमानानां मोक्षम् / 1 मूलं सग अरिहंता तहा धणिट्ठाइपंचयं सिद्धा J, Ja, S, P / धणि?गा पंचगो य सिद्धा य N; पुंसं * सग JBI 2 दियरिक्खा S| 3 गुणनि D / 4 चित्ताईसाइDI 5 यम जम अंते अ° JB, जम जम अंते अरिहा / 30 DN, पम जम अंते अरिहा A, जमु कि(क)न्ना विसरमहंता SI 6 मयरा DI 7 धणमिहुणज्झायया वंदे N, धणमिहुणुज्झायया वंदे A DI धूण य मिहुणो उज्झाया JB, SI 8 दो दो JA, दो दस JC, N, दो दुह रासीउ A, रासीओ JB1 9 भावेण थुव्वमाणा JB, भावेण षु(सु) द्धमणो सासयसुक्खं महं दिंतु N | 10 पावइ मुक्खं सुक्खं च AI 11 कुण DS | 12 नसिज्ज D निसेज S1 13 सेसे DSI 'पुव्वाणुपुवि' इत्यादिगाथाचतुष्कं 25, 26, 27, 28 षोडशगाथानन्तरं 17, 18, 19, 20 इत्याङ्कनिर्दिष्टाः। 14 जह जम्मिय पक्खित्ते JB, जेहिम्मि य नक्खत्ते JD, 35 जम्मि निक्खित्तो तह पुणरवि सो चेव अंक DS | 15 पयरगईए JC N, पयरगइए D / 16 नामभामो य अंकपरि° N, JCT 17 ठवियज्जा D, ठवियग्गा JC, N, ठवियग A, ठवियगा JBI 18 पुण धरियं DSI 29 मूलिग JC, मूलिगपंति दुए पुण अंको नो ठविय S / 20 अंको न ठविजइस्सि जे D, नो ठवियम्मि जे A I 11 दुभेगे काउं नसिज DI