________________ [प्राकृत 258 ध्यानविचारः। 7. हास्य-निसत असत्य : जेम मश्करा माणसो कोईनी कई चीज लईने संताडी राखे अने तेमने पूछवामां आवे तो कहे के 'ए चीज में जोई नथी' आवी भाषा 'हास्य-निसृत असत्य' कहेवाय छे / 8. भय-निसृत असत्य : चोरो वगेरेना भयथी 'मारी पासे कई नथी' वगेरे जे असत्य बोलवामां आवे ते 'भय-निसृत असत्य' छ। 9. आख्यायिका-निसृत असत्य : कथाओमां जे असंभवित वातो कहेवामां आवे ते 'आख्यायिका-निसृत असत्य' कहेवाय छे। 10. उपघात-निसृत असत्य : चोर न होय छतां 'तुं चोर छे', आq जे आळ चढाववामां आवे ते 'उपघात-निसृत असत्य' कहेवाय छे / सत्या-मृषा भाषाना 10 प्रकारो : 10 उप्पन्नविगयमीसग जीवमजीवे अ जीवअज्जीवे / तहऽणंतमीसगा खलु परित्त अद्धा अ अद्धद्धा // 275 // 1. उत्पन्न मिश्रित सत्या-मृषा : उत्पन्न जीवोने आश्रयीने जे मिश्र भाषा बोलवामां आवे ते 'उत्पन्नमिश्रित सत्या मृषा' भाषा कहेवाय छे। जेमके कोई नगरमा ओछां के वधारे बाळको जन्म्यां होय छतां आजे दस बाळको जन्म्यां छे एम जे कहेवामां आवे ते 'उत्पन्नमिश्रित सत्या-मृषा' भाषा छे; कारणके 15 तेमां थोडं साचुं छे अने थोडं खोटुं छे। तेथी ए मिश्र भाषा छ / २.विगतमिश्रित सत्या मृषा : ते ज प्रमाणे मरणने आश्रयीने जे मिश्र भाषा बोलवामां आवे ते 'विगतमिश्रित सत्या-मषा' भाषा छे। जेमके कोई नगरमां थोडा के वधारे माणसो मरी गया होय छतां आजे दस माणसो मरी गया एम कहेवाय आवे ते 'विगतमिश्रित सत्या-मृषा' भाषा छ / 3. उत्पन्न-विगतमिश्रित सत्या मृषा : ते ज प्रमाणे उत्पत्ति अने मरणने आश्रयीने जे मिश्र 20 भाषा बोलवामां आवे छे ते उत्पन्न-विमतमिश्रित सत्या-मृषा कहेवाय छे। जेम कोई नगरमा ओछा के वधारे माणसो जन्म्या होय के मरी गया होय छतां कहेवामां आवे के आजे दस बाळको जन्म्या छे अने दस वृद्धो मरी गया छे आवी भाषा 'उत्पन्न-विगतमिश्रित सत्या-मृषा' भाषा कहेवाय छे / 4. जीवमिश्रित सत्या-मृषा जेम कोई ढगलामा घणा जंतुओ जीवतां होय अने थोडां मरेलां पण होय छतां 'आ जीवता जंतुओनो ढगलो छे' एम कहेवू ते 'जीव-मिश्रित सत्या मृषा' भाषा छ / 25 5. अजीवमिश्रित सत्या-मृषा : कोई ढगलामां घणां जंतुओ मरेलां होय अने थोडां जीवतां होय छतां 'अजीवनो ढगलो छे' एम कहे ते 'अजीवमिश्रित सत्या-मृषा' भाषा छ। 6. जीवाजीवमिश्रित सत्या मृषा : उपरनी जेम जीवता अने मरेला जंतुओना ढगलामा (वस्तुतः न्यूनाधिक होवा छतां) निश्चयपूर्वक कहेवू के 'आटला मरेला छे ने आटला जीवता छे' आवी भाषा ते 'जीवाजीवमिश्रित सत्या-मृषा' छे / 30 7. अनंतमिश्रित सत्या-मृषा : 'मूळ' वगेरे अनंतकायने तेना ज प्रत्येक वनस्पति कायरूप पांदडानी साथे अगर बीजी कोई प्रत्येक वनस्पतिनी साथे जोईने 'आ बधुं अनंतकाय छे' एम कोई कहे ते 'अनंतमिश्रित सत्या मृषा' छ / 1. जेमां थोडं साचुं अने थोडं खोटुं होय तेवी मिश्र भाषाने 'सत्या-मृषा' कहेवामां आवे छे। कारणके तेमां कंईक साचं होवाथी ते 'सत्य' पण छे अने कंईक खोटुं होवाथी 'मृषा' पण छे / आ प्रमाणे सत्य तथा असत्यनुं मिश्रण 35 होवाथी ते 'सत्या-मृषा' कहेवाय छे /