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________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। 259 8. प्रत्येकमिश्रित सत्या मृषा : उपर मुजब प्रत्येक वनस्पतिना ढगलामां अनंतकाय रहेला होय छतां आ बधुं 'प्रत्येक वनस्पतिकाय छे' एम कहे, ते 'प्रत्येकमिश्रित सत्या-मृषा' छ / 9. अद्धामिश्रित सत्या-मृषा : अद्धा एटले काळ / अही प्रसंगानुसारे अद्धा शब्दथी रात्रि-दिवस लेवाना छे / जेम कोई माणस दिवस बाकी होय छतां बीजा माणसने उतावळ कराववा कहे के ‘रात्रि पडी गई' अथवा रात्रि बाकी होय छतां जगाडवा कहे के 'दिवस उगी गयो' ते 'अद्धा- 5 मिश्रित सत्या-मृषा' कहेवाय छे। 10. अद्धारामिश्रित सत्या-मृषा : दिवस के रात्रिनो एक भाग ते अद्धाद्धा। प्रथम प्रहर चालु होय छतां कोई माणस बीजा माणसने कार्यमा उतावळ करवा माटे कहे के 'मध्याह्न थई गयो' वगेरे वचनो अद्धाद्धामिश्रित सत्या मृषा भाषा छ / असत्यामृषाना 12 प्रकारो: 10 आमंतणि आणवणी जायाणि तह पुच्छणी अ पन्नवणी। पच्चक्खाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा अ // 276 // अणभिग्गहिआ भासा भासा अ अभिग्गहम्मि बोधव्वा / संसयकरणी भासा वायड अव्वायडा चेव // 277 // 1. आमंत्रणी : कोईने बोलाववा माटे जे संबोधन वचनोनो प्रयोग करवामां आवे जेमके 'हे 15 देवदत्त !' 'हे प्रभु !' वगेरे ते आमंत्रणी भाषा छ / आवां आमंत्रण वचनो प्रथम कहेली त्रण प्रकारनी * (सत्या, मृषा अने सत्या मृषा) भाषाना लक्षणोमा समावेश पामता नथी। केवळ व्यवहारना हेतु छे तेथी आवा प्रयोगो 'असत्यामृषा' कहेवाय छे / 2. आज्ञापनी : जेमके 'आम करो', 'लो', 'लई जाव', वगेरे आज्ञा वचनो। 'आज्ञापनी' भाषा छ। 20 .. 3. याचनी : जेमके 'भिक्षा आपो' वगेरे वचनो ‘याचनी' भाषा छे।। 4. पृच्छनी : जेमके कोई बावतमां अजाण्यो माणस बीजाने पूछे के 'आ शुं छे ? आम केम?' वगेरे वचनो 'पृच्छनी' भाषा छ / 5. प्रज्ञापनी : हिंसानो त्याग करवाथी प्राणीओ दीर्घायुषी तथा नीरोगी थाय छ। आवी जे उपदेशात्मक भाषा ते 'प्रज्ञापनी' भाषा छ / 25 6. प्रत्याख्यानी : कोई माणस आपणी पासे मागवा आवे त्यारे तेने कहेवू के 'मारी आपवानी इच्छा नथी' ते 'प्रत्याख्यानी' भाषा छ / ___7. इच्छानुलोमा : कोई माणस कोईने कहे के 'आपणे साधु पासे जईए' त्यारे बीजो माणस कहे के 'बहु सारी वात छे'-आवी जे अनुमोदनात्मक भाषा तेने 'इच्छानुलोमा' भाषा कहे छ। 1. उपर जणावेल त्रणे प्रकारनी भाषाना लक्षणथी रहित होवाथी जे सत्य पण नथी तेम मृषा पण नथी पण 30 केवळ व्यवहारमा ज उपयोगी छे तेवी भाषाने असत्यामृषा कहेवामां आवे छे।
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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