________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। 247 तत्र मनोयोगः, 'जणवयसम्मय'' इत्यादि भाषाः 42, 'कालतियं ' इत्यादि 16, उभयं 58 / तत आसां मनश्चिन्तनावसरे मनोयोगत्वम् 58, भाषणावसारे भाषायोगत्वम् 58 // औदारिककाययोगो द्वात्रिंशभेदो जीवभेदात् आ गाथाओ अनुसार भाषाना 42 प्रकारो छे। वळी 'कोलतियं' इत्यादि गाथानुसार 16 प्रकारो थाय छे / आ बन्ने मळीने 58 प्रकारो थाय छे / आ बधा प्रकारोनो मनथी चिंतन करती वखते 58 5 प्रकारनो मनोयोग बने छे अने बोलती वखते 58 प्रकारनो भाषायोग बने छ / औदारिक काययोग जीवोना भेदो अनुसार 32 प्रकारे छे, जेमके . 10 1. श्री बृहत् कल्पसूत्रनी श्रीमलयगिरिसूरिरचित टीकामां आ गाथा जोवामां आवे छे। त्यां तेनो नीचे प्रमाणे उल्लेख छ / तानि च षोडश वचनान्यमूनिलिंगतियं वयणतिय, कालतियं तह परुक्ख पञ्चक्खं / उवणय-ऽवणयचउकं, अज्झत्थिययं तु सोलसमं // अस्या [अक्षरगमनिका-'लिङ्गत्रयम्' इयं स्त्री, अयं पुमान् , इदं कुलम् / 'वचनत्रिकम्' एकवचन द्विवचनं बहुवचनमिति। 'कालत्रिकम्' अकरोत् करोति करिष्यति च / परोक्षवचनं यथा स इति / प्रत्यक्षवचनम् एष इति / उपनयःस्तुतिः अपनयः-निन्दा तयोश्चतुष्कमुपनया-उपनयचतुष्कम् , यथा-रूपवती स्त्रीत्युपनयवचनम्, कुरूपा स्त्रीत्यपनयवचनम्, 15 रूपवती स्त्री किन्तु दुःशीलेत्युपनया-ऽपनयवचनम् , कुरूपा स्त्री किन्तु सुशीलेत्यपनयोपनयवचनम्। तथा अन्यच्चेतसि निधाय .विप्रतारकबुद्धया अन्यद् बिभणिषुरपि सहसा यच्चेतसि तदेव यद् वक्ति तत् षोडशमध्यात्मवचनम् // 164 // पीठिका पृ. 50. अर्थ :त्रण लिंग-पुंल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग, नपुंसकलिङ्ग / जेमके पुमान् , स्त्री अने कुलम् / . पण वचन-एकवचन, द्विवचन, बहुवचन। जेमके पुरुषः, पुरुषौ, पुरुषाः। त्रण काळ-वर्तमानकाळ, भूतकाळ, भविष्यकाळ / जेमके करे छे, क्र्यु, करशे / 20 परोक्षवचन-जेमके 'ते'। प्रत्यक्षवचन-जेमके 'आ'। उपनयवचन (प्रशंसावचन ) जेमके 'आ स्त्री रूपवती छे'। अपनयवचन (निंदावचन) जेमके 'आ स्त्री कुरूपा छे'। उपनय-अपनयवचन जेमके ‘आ स्त्री रूपवती छे परंतु दुःशीला छे'। अपनय-उपनयवचन जेमके 'आ स्त्री कदरूपी छे परंतु सुशीला छे। अध्यात्मवचन-मनमां जुदुं धारीने बीजाने ठगवानी बुद्धिथी बीजूं कहेवानी इच्छा होय छतां सहसा जे चित्तमां धारेलं होय ए ज बोलाई जाय। आ सोळ भेदोनो उल्लेख श्री पन्नवणा सूत्रना भाषापदमां 173 मा सूत्रमा पण छ। 2. भाषा बोल्या पहेलां तेवी जातनो विचार तो आवे ज, अने पछी उच्चार कराय एटले ए ज 58 प्रकारो 30 - पहेलां विचार करे त्यारे मनोयोगना 58 प्रकारो कहेवाय छे अने बोले त्यारे 'वचनयोग' (भाषा) ना 58 प्रकारो कहेवाय छे।