________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। पञ्चैव क्षीणदानान्तरायः 5, शेषकर्मणि-वेदनीय-मोहनीय-नाम-गोत्रलक्षणे द्वौ द्वौ भेदौ भवतः, क्षीणसातावेदनीयः क्षीणासातावेदनीयः क्षीणदर्शनमोहनीयः क्षीणचारित्रमोहनीयः क्षीणाशुभनाम क्षीणशुभनाम क्षीणनीच्चैर्गोत्रः क्षीणोच्चैर्गोत्रः इति गाथार्थः / / -आवश्यकसूत्र, हारि० टीका पृ. 663. अर्थ : (मूळ तथा व्याख्या) सिद्ध भगवंतोना कर्मविषयमां ते ते कर्मो क्षीण करेला होवाथी नीचे मुजब 31 गुणो छ:- 5 क्षीणदर्शनावरणीयना 9 प्रकार : (1) क्षीणचक्षुदर्शनावरणीय, (2) क्षीणाचक्षुदर्शनावरणीय, (3) क्षीणावधिदर्शनावरणीय, (4) क्षीणकेवलदर्शनावरणीय, (5) क्षीणनिद्र, (6) क्षीणनिद्रानिद्र, (7) क्षीणप्रचल, (8) क्षीणप्रचलाप्रचल, (9) क्षीणस्त्यानर्द्धि / क्षीणायुष्कना 4 प्रकार : (1) क्षीणनरकायुष्क, (2) क्षीणतिर्यंचायुष्क, (3) क्षीणमनुष्यायुष्क, (4) क्षीणदेवतायुष्क / क्षीणज्ञानावरणना 5 प्रकार: (1) क्षीणाभिनिबोधिकज्ञानावरण (2) क्षीणश्रुतज्ञानावरण (3) क्षीणावधिज्ञानावरण 10 (4) क्षीणमनःपर्यवज्ञानावरण (5) क्षीणकेवळज्ञानावरण / क्षीणांतरायना 5 प्रकार : (1) क्षीणदानान्तराय (2) क्षीणलाभान्तराय (3) क्षीणभोगान्तराय (4) क्षीणउपभोगान्तराय (5) क्षीणवीर्यान्तराय। क्षीणवेदनीयना बे प्रकार : (1) क्षीणसातावेदनीय (2) क्षीणासातावेदनीय / क्षीणमोहनीयना बे प्रकार : (1) क्षीणदर्शनमोहनीय (2) क्षीणचारित्रमोहनीय / क्षीणनामना बे प्रकार : (1) क्षीणाशुभनाम, (2) क्षीणशुभनाम / क्षीणगोत्रना बे प्रकार : (1) क्षीणनीचैर्गोत्र, (2) क्षीणोच्चैर्गोत्र / आ रीते सिद्धोना 31 गुणो छे। उपर्युक्त बन्ने प्रकारना गुणो मेळवता 62 गुणो थाय छ / 15