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________________ विमाग] नमस्कार स्वाध्याय। 231 रोहिण्यादिषोडशविद्यादेवतावलयम् // (10) अष्टाविंशतिनक्षत्रनामाक्षरवलयम् // (11) अष्टाशीतिग्रहवलयम् // (12) (10) दसमुं वलय रोहिणी आदि 16 विद्यादेवीओनु छ / (11) अगियारमा वलयमा 28 नक्षत्रोना नामाक्षरोनी स्थापना करवामां आवे छे / (12) बारमा वलयमा 88 पँहोनी स्थापना करवामां आवे छे / 1. सोळ विद्यादेवीओनां नामो नीचे मुजब छे: आ ज ग्रंथमां ग्रंथकारे आगळ 16 विद्यादेवीओनां नामो जणावेलां छे ते अनुसारे अहीं विद्यादेवीओनां नामो आप्यां छे। बीजा ग्रंथोमां जो के केटलांक नामोमां फेरफार पण जोवामां आवे छे। (1) रोहिणी (2) प्रशप्ति (3) वज्रशंखला (4) वज्रांकुशी (5) अप्रतिचक्रा (6) पुरुषदत्ता (7) काली 10 (8) महाकाली (9) गौरी (10) गान्धारी (11) ज्वालामालिनी (12) मानवी (13) वैरोट्या (14) अच्छुप्ता (15) मानसी (16) महामानसी / 2. 28 नक्षत्रोनां नामो नीचे मुजब छे:... (1) अश्विनी (2) भरणी (3) कृतिका (4) रोहिणी (5) मृगशीर्ष (6) आर्द्रा (7) पुनर्वसु (8) पुष्य (9) आश्लेषा (10) मघा (11) पूर्वाफाल्गुनी (12) उत्तराफाल्गुनी (13) हस्त (14) चित्रा (15) स्वाति 15 (16) विशाखा (17) अनुराधा (18) ज्येष्ठा (19) मूळ (20) पूर्वाषाढा (21) उत्तराषाढा (22) अभिजित् (23) श्रवण (24) धनिष्ठा (25) शतभिषा (26) पूर्वाभाद्रपद (27) उत्तराभाद्रपद (28) रेवती। 3. 88 ग्रहोनां नामो नीचे मुजब छे : (1) अंगारक (2) विकालक (3) लोहित्यक (4) शनैश्चर (5) आधुनिक (6) प्राधुनिक (7) कण (8) कणक (9) कणकणक (10) कणवितानक (11) कणसंतानक (12) सोम (13) सहित (14) आश्वासेन (15) कार्योपग 20 (16) कर्बटक (17) अजकरक (18) दुंदुभक (19) शंख (20) शंखनाभ (21) शंखवर्णाभ (22) कंस (23) कंसनाभ (24) कंसवर्णाभ (25) नील (26) नीलावभास (27) रूप्पी (28) रूप्यावभास (29) भस्म (30) भस्मराशि (31) तिल (32) तिलपुष्पवर्ण (33) दक (34) दकवर्ण (35) काय (36) वन्ध्य (37) इन्द्राग्नि (38) धूमकेतु (39) हरि (40) पिंगल (41) बुध (42) शुक्र (43) बृहस्पति (44) राहु (45) अगस्ति (46) माणवक (47) कामस्पर्श (48) धुर (49) प्रमुख (50) विकट (51) विसंधिकल्प (52) प्रकल्प (53) जटाल (54) अरुण (55) 25 अमि (56) काल (57) महाकाल (58) स्वस्तिक (59) सौवस्तिक (60) वर्द्धमानक (61) प्रलम्ब (62) नित्यालोक (63) नित्योद्योत (64) स्वयंप्रभ (65) अवभास (66) श्रेयस्कर (67) क्षेमंकर (68) आभंकर (69) प्रभंकर (70) अरजा (71) विरजा (72) अशोक (73) वीतशोक (74) विवर्त्त (75) विवस्त्र (76) विशाल (77) शाल (78) सुव्रत (79) अनिवृत्ति (80) एकजटी (81) द्विजटी (82) कर (83) करिक (84) राज (85) अर्गल (86) पुष्प (87) भाव (88) केतु / 30 -सूर्यप्रज्ञप्तिवृत्तिः-पृ. 295, प्राभृत 20
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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