________________ 222 [प्राकृत पञ्चनमस्कारचक्रोद्धारविधिः। [7] मानसीपूजा 'ॐ राँ' भूमिशोधनम् / ‘याँ राँ लाँ वाँ माँ' उदकम् , अष्टोत्तरशतवारान् / 'सरसुंसः हरहुंहः' चन्दनम् / 'ॐ [] तन्दुलाः 108 / 'आँ लाँ इँ वाँ कुँ (जं ?) काँ खाँ गाँ घाँ स्वाहा' पुष्पाणि / 'चाँ छाँ जाँ झाँ' नैवेद्यम् / 'क्षिप 3 स्वाहा' धूपः। 'ॐ ह्री' दीपः। ॐ ही रक्ते रक्ते महारक्ते हसौ हकली घु शासनदेवी (वि)! . एहि एहि अवतर अवतर स्वाहा आह्वानमन्त्रः / 'ॐ श्वेते श्वेते महाश्वेते महाश्वेते जये विजये अजिते अपराजिते स्वाहा' विसर्जनमन्त्रः / जापः 10 सहस्रः, होमः 1 सहस्रः, मूलमन्त्रः ('ॐ अर्ह नमः'), जापः लक्ष 9, शुभवारे शुभहोरायां 10 शुभलग्ने शुभयोगे शुभस्थाने ध्येयं मोक्षकाङ्क्षिभिः // इति महासैद्धान्तिकभद्रगुप्तस्वामिना निजशिष्यश्रीवयरस्वामिवचनेन बृहद्वृत्तेरुद्धृता श्रीपरमपञ्चपरमेष्टिमहामन्त्र यन्त्रचक्रवृत्तिरियं समाप्ता // करवा . 7 मानसीपूजा 'ॐ राँ'-आ मंत्रथी भूमिशोधन करवू / 'याँ राँ लाँ वाँ माँ'-आ मंत्रथी 108 वार जलस्नान करावq / 'सरसुंसः हरहुँहः'-आ मंत्रथी चंदननी भावना करवी / 'ॐ झु'-आ मंत्रथी 108 वार अक्षत चढाववानी भावना करवी / 'आँ लाँ-वगेरे मंत्रथी पुष्पोनी भावना करवी / 'चाँ छाँ'-वगेरे मंत्रथी नैवेद्यनी भावना करवी। 'क्षिप ॐ स्वाहा'-आ मंत्रथी धूपनी भावना करवी। 'ॐ ह्रीं'-आ मंत्रथी दीपकनी भावना करवी। 'ॐ ह्री रक्ते.'-वगेरे मंत्रथी आह्वाननी भावना करवी। 'ॐ श्वेते श्वेते महाश्वेते.'-वगेरे मंत्रथी विसर्जननी भावना करवी। जाप 10000 दसहजार; होम 1000 एक हजार; मूळ मंत्र 30 अर्ह नमः' नो जाप 900000 नवलाख; शुभवार, शुभ होरा, शुभ लग्न, शुभ योग, शुभ स्थान (आदि बराबर विचारीने) मोक्षनी अभिलाषावाळाए ध्यान करवू जोईए। महासैद्धान्तिक श्रीभद्रगुप्तस्वामीए पोताना शिष्य श्रीवज्रस्वामीना कहेवाथी (पोते रचेली) बृहद्वृत्तिमांथी (साररूप) उद्धृत करेली 'पंचपरमेष्टिमहामंत्रयन्त्र-चक्रवृत्ति' समाप्त थई। 25