________________ 216 10 पञ्चनमस्कारचक्रोद्धारविधिः। [प्राकृत तदुपरि षोडशबीजाक्षराणि—'अरिहंत सिद्ध आयरिय उवज्झाय साहू / ' चतुर्पु पटकोणेषु-४।८।१०।२॥' ईशाने-'3 इन्द्रभूतये स्वाहा / / श्री सोमे अवग्गु वग्गु सुमणे सोमणसे तह य महुमहुरे / किलि किलि अप्पडिचक्का हिलि हिलि देवीओ सब्बाओ॥' इति गाथा / पूर्वदिशि-'अग्निभूतये स्वाहा / / आमेये-'G वायुभूतये स्वाहा / ॐ असि आ उ सा हुलु हुलु चुलु चुलु इच्छियं कुरु कुरु स्वाहा / ' तत्रैव- 'उ व्यक्ताय स्वाहा / ' दक्षिणे—' सुधर्मस्वामिने स्वाहा / ' [नैऋत्ये-'ॐ मण्डिकाय स्वाहा / ' तत्रैव- 'ॐ मौर्यपुत्राय स्वाहा / '] पश्चिमे—'ॐ अकम्पिताय स्वाहा / ' वायव्ये—'अचलभ्रात्रे स्वाहा।' . उत्तरतः-'मेतार्याय स्वाहा।' पुनरीशाने-ॐ प्रभासाय स्वाहा / ॐ नमो सव्वसिद्धाणं पदं बहिश्चतसृषु दिक्षु, अष्टारशिरःकलशेषु ' 'जमे मोहे जमे मोहे' अक्षर 8 लेख्याः / / 15 . 'ॐ नमो अरहंताणं एहि एहि नंदे महानंदे पंथे बंधे दुपयं, पंथे बंधे चउप्पयं, घोरं आसीविसं बंधे, जाव गठिं न मुंचामि / ' पश्चिमदिशि लेख्यः / ॐ नमो सव्वसिद्धाणं उपरि त्रिरेखमायाबीजं '[हाँ ]' अंते 'क्रौं' इति / हाँ हाँ हूँ हूँ ' ए मंत्राक्षरो लखवा / तेना उपर 'अ र हं त सि द्ध आ य रि य उ व ज्झा य सा हूँ ए सोळ अक्षरो लखवा / पटना चार खूणामां अनुक्रमे 4, 8, 10, 2 एम अंको लखवा।। 20 ईशानखूणामां 'ॐ इन्द्रभूतये स्वाहा' लखवू, तेमज त्यां 'सोमे अवग्गु गाथा लखवी। पूर्वदिशामा -- ॐ अग्निभूतये स्वाहा' लखवू; अग्निखूणामां 'ॐ वायुभूतये स्वाहा' लखवू / तेमज ॐ असिआउसा हुलु हुलु.......'लखवू, त्यां ज 'ॐ व्यक्ताय स्वाहा' लखq। .. दक्षिणदिशामां ॐ सुधर्मस्वामिने स्वाहा' लखवू / नैर्ऋत्यखूणामां 'ॐ मंडिकाय स्वाहा' तथा 'ॐ मौर्यपुत्राय स्वाहा' लखवू / 28 पश्चिमदिशामां 'ॐ अकम्पिताय स्वाहा' लखवू / वायव्यखूणामां ॐ अचलभ्रात्रे स्वाहा' लखq। उत्तरदिशामां 'ॐ मेतार्याय स्वाहा' लखवू / ईशानखूणामां फरी ॐ प्रभासाय स्वाहा' लखवू / बहारनी चारे दिशामां ॐ नमो सव्वसिद्धाणं' पद लखवू अने आठ आराना मथाळे कलशमां 'जंभे मोहे जंभे मोहे' ए आठ अक्षरो लखवा / 'ॐ नमो अरहंताणं एहि एहि............. मुश्चामि' पश्चिमदिशामां लखवू / (आ भागनुं ऊपर जणावेला गणधर-पद लेखनवाळा भाग साथे अनुसंधान समजवु।) 30 ॐ नमो सव्वसिद्धाणं' पद उपर मायाबीज 'हाँ'कार थी शरू थती त्रण रेखाओ फरती दोरवी अने तेना छेडे 'क्रौं' बीज लखवू, तथा गर्भमा 'सम्यग्रज्ञानाय नमः, सम्यग्दर्शनाय नमः' अने