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________________ नमस्कार स्वाध्याय। 215 पथि सशरं धनुरालिख्य वामपादेनाक्रम्य वामपार्थेन गम्यते, आयुधस्तम्भो भवति, चौरभयं न भवति / आयुधस्तम्भविद्याऽष्टमवलये लिखेत् // [8] अष्टानां वलयानामष्टसु दिक्षु बहिः षोडशदलं पद्मं लिखेत् / दलेषु षोडशस्वरा लिख्यन्ते'अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋल ल ए ऐ ओ औ अं अः। एतेषामुपरि षोडशदलेषु षोडशविद्यादेवीनामानि समन्बीजानि स्थाप्यन्ते / तद् यथा - 1. ॐ याँ रोहिण्यै अँ नमः। 2. ॐ राँ प्रज्ञप्त्यै आँ नमः। 3. ॐ लाँ वज्रशृङ्खलायै ई नमः। 4. 'ॐ वाँ वज्राङ्कश्य ई नमः।' 5. ॐ शाँ अप्रतिचक्रायै नमः। 6. ॐ पाँ पुरुषदत्तायै ॐ नमः।' 7. ॐ साँ काल्यै नमः। 8. ॐ हाँ महाकाल्यै नमः। 9. ॐ बुं गौर्यै लँ नमः। 10. ॐ रु गान्धायै लँ नमः। 10 11. 'ॐ लूँ सर्वास्त्रमहाज्वालायै एँ नमः।' 12. 'ॐ मानव्यै एँ नमः। 13. ॐ यूँ वैराट्याय औं नमः। 14. ॐ धूं अच्छुप्तायै औं नमः / 15. ॐ तूं मानस्यै नमः। 16. ॐ हूँ महामानस्यै नमः।' उपरि दलमध्ये—'हूँ हाँ हूिँ ह्रीँ हुँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हाँ हाँ हूँ हूँ।' : आठ वलयोनी आठ दिशानी बहार सोळ पांखडीवालं कमल आलेखq / ए पांखडीओमां 15 सोळ स्वरो लखवा :-'अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋल लू ए ऐ ओ औ अं अः।* .. एना उपर सोळ पांखडीमां सोळ विद्यादेवीओनां नाम मंत्र अने बीज सहित स्थापवां / ते आ प्रमाणे : प्रथम पांखडीमां 1 ॐ याँ रोहिण्यै अँ नमः।' थी सोलमी पांखडीमा 16 ॐ नमः महामानस्यै अः नमः' सुधी मंत्रो लखवा। तेना उपर 'हूँ हाँ हिँ हाँ हुँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हैं 20 मूलप्रतौ षोडशविद्यादेवीनां मन्त्रास्त्वशुद्धरूपेण लिखिता एतत्प्रकारेणोपलभ्यन्ते'ॐ नमो रोहिणी ह्रीं फट् स्वाहा // 1 // ॐ नमो पन्नत्ती ह्रीं फट् स्वाहा // 2 // ॐ नमो वज्रशृङ्खला हैं फट् स्वाहा // 3 // ॐ नमो वज्राङ्कुशी कौँ हाँ फट् स्वाहा // 4 // ॐ नमो अप्रतिचक्रे हूँ हूँ फट् स्वाहा // 5 // ॐ नमो पुरुषदत्ते हुं हुं हूं फट् स्वाहा // 6 // ॐ नमो काली अम्म हुं फट् स्वाहा // 7 // ॐ नमो महाकाली गूं धूं फट् स्वाहा // 8 // ॐ नमो गौरी रसोयं फट् स्वाहा // 9 // ॐ नमो गान्धारी झाँ फट् खाहा // 10 // ॐ नमो सर्वास्त्रमहाज्वाले हसू फटू वाहा // 11 // ॐ नमो मानवी स्यूँ फट् स्वाहा // 12 // ॐनमो वैरोट्या चां फट् खाहा // 13 // ॐ नमो अच्छुप्ते हूं हूं फट् स्वाहा // 14 // ___ॐ नमो मानसी हूं ही फट् स्वाहा // 15 // ॐ नमो महामानसी हुल हुं फट् स्वाहा // 16 // *बीजी प्रतिमा आगळनो पाठ आ प्रमाणे मळे छे: तेनी उपर प्रथिनी वचमा पाश, अंकुश, अभय अने वरद लखाय छ। उपर त्रिशूल लखी मध्यरेखाने छोडी 'क' श्री. सुधीना अक्षरो लखवा अने मध्यरेखामां-'अरिहंत - सिद्ध-आयरिय - उवज्झाय - साहू' एम लखवु / खरोनी उपर सोळ पत्रवाळा कमळनां दरेक पत्रमा सोळ विद्यादेवीनां नामो लखवां / (ए रीते) रोहिणीथी महामानसी सुधी बी.तेमनी उपर सोळ बीजाक्षरो लखवा / चक्रलेखननी आ विधि छ /
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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