________________ 214 [प्राकृत पञ्चनमस्कारचक्रोद्धारविधिः। सर्वकर्मकरोऽयं मन्त्रः / स्तम्भन-मोहन-शान्तिक-पौष्टिक-वशीकरणादिष्वन्येष्वप्युपसर्गेष्वयमेव पठितव्यः / तृतीयवलये लिखेत् / [3] 'ॐ नमो-थंभेइ जलं जलणं चिंतियैमित्तो वि पंचनवकारो। अरि-मारि-चोर-राउल-घोरुवसग्गं पणासेइ // स्वाहा / ' स्तम्भनक्रिया योजनशतादपि / चतुर्थवलये लिखेत् // [4] 'ॐ नमो-अद्वैव य अट्ठसयं अट्ठसहस्सं च अट्ठकोडीओ। रक्खंतु मे सरीरं देवासुरपणमिया सिद्धा // खाहा // " एषा आत्मरक्षाविद्या पञ्चमवलये लिखेत् // [5] 'ॐ नमो अरहंताणं तिलोयपुजो य संथुओ भयवं / अमर-नररायमहिओ अणाइनिहणो सिवं दिसउ // स्वाहा // एषा सिद्धविद्या षष्ठवलये लिखेत् // [6] ॐ नमो सिद्धाणंतव-नियम-संजमरहो पंचनमुक्कारसारहिनिउत्तो। नाणतुरंगमजुत्तो नेइ पुरं परमनिव्वाणं // स्वाहा // ' 15 एषा मोक्षविद्या सप्तमवलये लिखेत् // [7] 'उ धणु धणु महाधणु महाधणु खाहा / ' करनारो छ / स्थंभन, मोहन, शांतिक, पौष्टिक, वशीकरण आदिमां तेम ज बीजा एवा उपसर्गोमां आज मंत्र भणवो। ते मंत्र त्रीजा वलयमां लखवो। ॐ नमो थंभेइ०...... स्वाहा / ' आ मंत्रथी सो योजन सुधी स्तंभन क्रिया थाय छे, तेने 20 चोथा वलयमां लखवो। 'ॐ नमो अद्वेष ........ स्वाहा।' आ 'आत्मरक्षा' नामनी विद्या पांचमा पलयमां लखवी / 'ॐ नमो अरहंताणं अट्ठ......स्वाहा।' आ 'सिद्धविद्या' छट्ठा क्लयमां लखवी। नमो सिद्धाणं तव...... स्वाहा।' आ 'मोक्षविद्या' सातमा वलयमां लखवी। ॐ धणु धणु महाधणु महाधणु स्वाहा / ' आ मंत्रने मार्गमां बाण सहित धनुष आलेखीने, 25सेने डाबा पगयी ओळंगीने, डाबी तरफ जवाथी आयुध-शस्त्रनुं स्तंभन थाय छे अने चोरनो भय लागतो नथी / आ 'आयुधस्तंभनविद्या आठमा वलयमा लखवी / 1 अस्य सर्वकर्मकरमत्रस्याक्षरप्रमाणं 74 निर्दिष्टमेतावता टिप्पणगतपाठो न सम्यगाभाति / 2 "दि पुन्येषूप / / 3 'व्यमत्तो वि' / / 4 अट्ठविहकम्ममुक्को तिलोय / x'नमस्कारलघुपंजिका' [ह. लि. प्रतिनी नकल जै० सा० वि० म० ना संग्रहमा छ, ते मा मा विद्यार्नु विशेष स्पष्टीकरण नीचे मुजब मळे छे: आ विद्यानी क्रिया-कायोत्सर्गपूर्वक आ मंत्रनो 108 के 1008 वार जाप करवो, अने मार्गमां बाण सहित 'धनुष-आलेखी, डाबा पग वडे चालवानुं शरू करी मौनपणे जवं. आथी रस्तामा चोरनो भय लागतो नथी भने संग्राममा आयुध-शस्त्रने थंभावे छ /