________________ 212 अरिहाणाइथुत्तं। [प्राकृत प्रति, जेनी जैन साहित्य विकासमंडळना संग्रहमा फोटो स्टेटिक नकल लेवामां आवी छे, अने मूळ प्रति श्रीविजयमोहनसूरीश्वरजी शास्त्रसंग्रहमांथी मळी हती, तेमां आ रचनानो गाथाक्रम जूदी रीते नोधायेलो जोवामां आव्यो त्यारे विषयक्रम अने रचानानी संकलनात्मकता संबंधी अनुमानने पुष्टि मळी। 6 अहीं आ स्तोत्रनो गाथाक्रम मळी आवेली आ एक ज' प्रतिमांथी स्वीकृत कर्यो छे, बीजा प्रकारना गाथाक्रमनो ते ते मूळनी गाथाना अंक साथे निर्देश कर्यो छे / बंने क्रमनी तालिका नीचेना कोष्ठक मुजब छ स्वीकृत बीजा प्रकारनो स्वीकृत बीजा प्रकारनो स्वीकृत बीजा प्रकारनो गाथाक्रम गाथाक्रम गाथाक्रम | गाथाक्रम | गाथाक्रम | गाथाक्रम 1 थी 7 १थी 7 27 20 28 29 30 31 30 WWWWWWW 31 32 34 15 * 18 28 26 36 29 20 जे वीश-पचीस जेटली प्रतिओ जोवामां आवी तेमाथी चार प्रतिओमांथी पाठभेदो '. लेवामां आव्या छ / ते प्रतिओनो परिचय आ रीते छे : 1. फोटोस्टेटिक कॉपी नं. 3 नी प्रति 12 पत्रनी छे / तेनां पाठातरो J संज्ञाथी लेवाम आव्यां छे। 2. फोटोस्टेटिक कॉपी नं. 4 'नमस्कारव्याख्यानटीका'नी 50 पत्रनी आ प्रतिमा 46 मा पत्रमा आ स्तोत्र आपवामां आव्युं छे / तेना पाठांतरो S संज्ञाथी लीधां छे / आ प्रतिना पाठ अने गाथाक्रमने आदर्श पाठ राख्यो छ / 3. प्राचीन जैन साहित्योद्धार ग्रंथावली-जैन स्तोत्र संग्रह भा. 1 प्रकाशक : श्री साराभाई मणिलाल नवाब, अमदाबाद वि. सं. १९८९-मांथी जे पाठांतरो लीधा ते P __ संज्ञाथी सूचव्या छ। 30 4. विधिमार्गप्रपा, कर्ता : श्रीजिनप्रभसूरि, प्रका० श्रीजिनदत्तसूरि-प्राचीन. पुस्तकोद्धार ....फंड, सुरत, वि. सं. 1997 मांथी मळेलां पाठांतरो V संज्ञाथी नोध्यां छे।