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________________ 192 [प्राकृत अर्हन्नमस्कारावलिका। नमो अमरवइ-चक्कहर-वासुदेव-बलभद्दवंदिआणं अरिहंताणं // 94 // नमो अणुत्तरविमाणवासिअमरसंदेहअवहारकारगाणं अरिहंताणं // 95 // नमो सुक्कलेसाए तेरसमगुणठाणसंठिआणं अरिहंताणं // 96 // नमो जीवाजीवाइपयत्थपयासगाणं अरिहंताणं // 97 // नमो परोवयारकरणेणं संपूरिअआउकम्माणं अरिहंताणं // 98 // नमो लोगग्गगमणजुग्गखित्तमुवगयाणं अरिहंताणं // 99 // नमो सिद्धसुहदायगंतिमतवकारगाणं अरिहंताणं // 10 // नमो चउद्दसमगुणठाणठियसेलेसीकरणमुवगयाणं अरिहंताणं // 101 // नमो सव्वसुरासुरविरइयचरमसमवसरणसंठिआणं अरिहंताणं // 102 // नमो अणाइकम्मसंजोगविप्पमुक्काणं अरिहंताणं // 103 // नमो उरालियतेअकम्मणसि(स)रीरपडिमुक्काणं अरिहंताणं॥१०४॥ नमो रागद्दोसजलभरिअसंसारसागरसमुत्तिन्नाणं अरिहंताणं // 105 // इंद्र, चक्रवर्ती, वासुदेव अने बलभद्रथी वंदायेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 94 // अनुत्तर विमानवासी देवोना संदेहने दूर करनारा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥९५॥ शुक्ल लेश्यामां तेरमा गुणस्थानके रहेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥९६॥ जीव, अजीव वगेरे पदार्थोना प्रकाशक अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥९७॥ परोपकार करवा वडे आयुष्यकर्मने पूर्ण करनारा एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥९८॥ लोकना अग्रभागे जवा योग्य क्षेत्रने प्राप्त करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 99 // सिद्धोनां सुखने आपनारी अंतिम तपस्याने करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 10 // चौदमा गुणस्थानके स्थिर थतां शैलेशीकरणने प्राप्त करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 101 // समस्त सुर अने असुरोए रचेला छेल्ला समवसरणमां बेठेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥१०२॥ अनादि काळना कर्मसंयोगथी सर्वथा मुक्त थयेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥१०३॥ औदारिक, तेजस् अने कार्मण शरीरोथी सर्वथा मूकायेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 104 // राग अने द्वेषरूपी जळथी भरेला संसारसागरने सारी रीते तरी गयेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार 25 थाओ॥१०५॥ 20 1 सागरुति AL
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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