________________ अर्हन्नमस्कारावलिका। [प्राकृत नमो बायालीसदोसविरहियाहारगाहगाणं अरिहंताणं // 68 // नमो छट्टट्ठम-दसम-दुवालस-मासद्धमासखवणाइतवकारगाणं अरिहंताणं // 69 // नमो वीरासणगाइअणेगासणसंठिआणं अरिहंताणं // 70 // नमो बावीसपरीसहअहिआसगाणं अरिहंताणं // 71 // नमो बज्झभिंतरपरिग्गहविप्पमुक्काणं अरिहंताणं // 72 // नमो महावणम्मि पडिमापडिवन्नाणं अरिहंताणं // 73 // नमो विसुद्धसुहधम्मसुक्कझाणसंपत्ताणं अरिहंताणं // 74 // नमो खवगसेढीए संपत्ताणं अरिहंताणं // 75 // नमो मोहमहामल्लक्खयकारगाणं अरिहंताणं // 76 // नमो लोआलोअपयासगकेवलनाणसंपत्ताणं अरिहंताणं // 77 // नमो रुप्प-सुवन्न-रयणमयसालतयसंठिआणं अरिहंताणं // 78 // नमो नवसुवन्नकमलेसु पायसंठावगाणं अरिहंताणं // 79 // नमो चउमुहचउसीहासणंसठिआणं अरिहंताणं / / 80 // नमो पंचदसण्हं छत्तरयणसंसोहिआणं अरिहंताणं // 81 // बेतालीस दोषथी रहित आहारने ग्रहण करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 68 // छठ-बे उपवास, अट्ठम-त्रण उपवास, दसम चार उपवास, दुवालस-पांच उपवास, अर्ध मास-पंदर उपवास अने मासक्षपण-महिनाना उपवास वगेरे तप करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 69 // वीरासन वगेरे अनेक आसनमां स्थिर रहेता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥७०॥ बावीश परीषहोने सहन करनारा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥७१॥ 20 बाह्य अने अभ्यंतर परिग्रहथी रहित एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ / / 72 // मोटा वनमा प्रतिमाओने धारण करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥७३॥ विशुद्ध एवा शुभ धर्मध्यान अने शुक्लध्यानने प्राप्त करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 74 / / क्षपक श्रेणिने प्राप्त करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 75 // मोहरूपी महामल्लनो क्षय करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥७६ // 25 लोक अने अलोकने प्रकाश करनारा एवा केवळज्ञानने प्राप्त करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 77 // रूपानो, सोनानो अने रत्ननो एम त्रण गढ(समवसरण)मां बेठेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 78 // सुवर्णनां नव कमळोमां पगने स्थापन करता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 79 // 30 चार' (दिशाओमां) मुखवाळां चार सिंहासन उपर बेठेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 80 // पंदर छत्ररत्नोथी सारी रीते शोभता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 81 // 1 प्रत्येक दिशामा एक एक मुख। 2 दरेक दिशामा त्रण त्रण अने वच्चे ऊर्ध्व दिशामा त्रण।