________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / नमो विहंगमो व्य विप्पमुक्कगुणसंपत्ताणं अरिहंताणं // 55 // . नमो खग्गिसिंग व्व एगग्गभावमुवगयाणं अरिहंताणं // 56 // f नमो भारंडपक्खि व्य अप्पमत्ताणं अरिहंताणं // 57 // / नमो लक्खणगुणोवेअवरसहु व्व जाइथामाणं अरिहंताणं // 58 // नमो कुंजरो व्व सोंडीरगुणसंजुआणं अरिहंताणं // 59 // नमो पंचाणणु व्व निब्भयाणं अरिहंताणं // 6 // नमो सायरवरो व्व गंभीरियगुणमंडिआणं अरिहंताणं // 61 // नमो संपुण्णसिसि(सस)हरु व्व सोमसहावाणं अरिहंताणं // 62 // नमो गयणमंडणभाणु व्व दित्ततवतेआणं अरिहंताणं // 63 // नमो पुहवी व सव्वंसहगुणसंजुआणं अरिहंताणं // 64 // नमो सारयंबु व्य सच्छमणभावाणं अरिहंताणं // 65 // नमो गामागर-नगर-पट्टणमंडियविसयेसु विहरमाणाणं अरिहंताणं // 66 // नमो बहुपुण्योदयसंजुअभवियजणदारसंपत्ताणं अरिहंताणं // 67 // पंखीनी जेम विप्रमुक्तता (निःसंगता) गुणने पामेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 55 // खड्गी-गेंडाना शींगडानी जेम एकत्वभावने (भावनाने) पामेला (अथवा एकाकीपणे विचरता) 15 अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 56 // भारंड पंखीनी जेम अप्रमत्त एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 57 // लक्षण अने गुणोथी युक्त एवा श्रेष्ठ वृषभनी जेम (स्वीकृत महाव्रतोना भारने वहन करवामां) समर्थ एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥५८॥ हाथीनी जेम शूरतागुणथी युक्त अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥ 59 // 20 सिंहनी जेम निर्भय एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥६०॥ महासागरनी जेम गांभीर्यगुणथी अलंकृत अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥६१॥ पूर्णचंद्रनी जेम सौम्य स्वभाववाळा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 62 // आकाशना अलंकार समा सूर्यनी जेम तपना तेजथी देदीप्यमान अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥६३॥ 25 पृथ्वीनी जेम बधुंये सहन करवाना गुणथी युक्त एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 64 // शरद ऋतुना पाणीनी जेम स्वच्छ (निर्मळ) मनोभाववाळा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥६५॥ गामो, आकरो, नगरो अने पत्तनोथी विभूषित देशोमां विहार करनारा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥६६॥ . बहु पुण्योदयवाळा भविक मनुष्योना द्वारने प्राप्त थता (तपस्याना पारणा माटे) एवा अरिहंत 30 भगवंतोने नमस्कार थाओ॥६७॥ t1 एतच्चिह्नान्तर्गतः पाठ: A प्रतौ निर्गलितः / 1. जायथा: AI 2. शशधर = चंद्रमा। 3. दिप्ततपरूप तेजवाळा (दिप्ततप ए तपनो एक प्रकार छे)।