________________ 187 विमाग] नमस्कार स्वाध्याय / नमो पंचविहेसु माणुसभोगेसु अमुच्छिआणं अरिहंताणं // 32 // नमो परमनीइए रजकरणेणं सवपयासुहदायगाणं अरिहंताणं // 33 // नमो विसुद्धसुहज्झवसायभावणासंपत्ताणं अरिहंताणं // 34 // नमो सयमेव परमवेरग्गसंपप्पसयंसंबुद्धाणं अरिहंताणं // 35 // नमो भत्तिभरनमिरलोगतिआमरवंदिआणं अरिहंताणं // 36 // नमो वरवरिआघोसपुव्वं संवच्छरिअदाणदायगाणं अरिहंताणं // 37 // नमो सव्वामरवईहिं कयदिक्खाभिसेआणं अरिहंताणं // 38 // नमो सिबिया-विमाणसंनिविट्ठाणं अरिहंताणं // 39 // नमो असोअ-पुन्नाग-तिलय-चंपयमंडिअर्वणसंडसंपत्ताणं अरिहंताणं // 40 // नमो वजहरसंठविअसीहासणोवरिसंठिआणं अरिहंताणं // 41 // नमो वरकडय-कुंडल-हारद्धहार-मउड-मालाविप्पमुकाणं अरिहंताणं // 42 // 10 मनुष्यना पांच प्रकारना भोगोमां मूर्छा नहि पामता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 32 // उत्कृष्ट नीतिथी राज्य करवाना कारणे सर्व प्रजाने सुख आपता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 33 // विशुद्ध अने शुभ अध्यवसायरूप (अथवा विशुद्ध अने शुभ अध्यवसायथी सहित एवी) भावनाने 15 प्राप्त करनारा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 34 // __पोतानी मेळे ज उत्कृष्ट वैराग्यथी प्राप्त कयुं छे स्वयंसंबुद्धपणुं जेमणे एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 35 // * भक्तिना भार वडे नम्र (अथवा भक्तिना संभारपूर्वक नमनशील) एवा लोकांतिक देवोथी वंदायेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 36 // 20 ___ वरवरिका एटले इच्छित वस्तुनुं दान लेवा माटे कराती घोषणा, ते घोषणापूर्वक सांवत्सरिक एटले वार्षिक दान आपता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 37 // समग्र इन्द्रोए कर्यो छे दीक्षानो अभिषेक जेमने एवा अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ॥३८॥ शिबिका (पालखी) स्वरुप विमानमां बेठेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 39 // अशोक, पुन्नाग, तिलक अने चंपानां वृक्षोथी शोभित एवा वनखंड-बनप्रदेशने (दीक्षा माटे)25 संप्राप्त थयेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 40 // वज्रधर-इंद्रे स्थापन करेला सिंहासन उपर बेठेला अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 41 // श्रेष्ठ एवा कटक, कुंडल, हार, अर्धहार, मुकुट अने माला (वगेरे अलंकारोने दीक्षासमये) छोडता अरिहंत भगवंतोने नमस्कार थाओ // 42 // १°वणासंड° P /