________________ 164 णमोक्कारणिज्जुत्ती। [प्राकृत (नियुक्ति-परिचय) आ 'नमस्कार-नियुक्ति' श्रीआगमोदयसमिति तरफथी सं. 1972 मां प्रगट थयेल 'श्रीमदावश्यकसूत्र' ना पृष्ठः 377 थी 454 मां श्रीमद् हरिभद्रसूरिए रचेली शिष्यहिता टीका साथे प्रसिद्ध थई छ / तेमांनी मूळ गाथाओ 887 थी 1024 एटले 138 गाथाओ अहीं आपी 5 छे अने तेनो भाववाही अनुवाद खास करीने श्रीहरिभद्रसूरिनी टीका अने श्रीविशेषावश्यक-भाष्यना आधारे करीने अहीं आपवामां आव्यो छे / __ 'आवश्यकसूत्र' वगेरे उपर नियुक्तिओना रचयिता श्रीभद्रबाहुस्वामीनुं नाम सुप्रसिद्ध छ; परंतु जैन ग्रथोमांथी भद्रबाहुस्वामी नामना बे आचार्योनो परिचय मळे छ / एक श्रीभद्रबाहुस्वामी, जेओ चतुर्दश पूर्वधारी हता, अने वीरनिर्वाण संवत् 170 मा स्वर्गस्थ थया हता / ज्यारे बीजा 10 भद्रबाहुस्वामी प्रसिद्ध ज्योतिर्विद् वराहमिहिरना भाई हता अने नैमित्तिक तरीके ओळखाता हता ते छट्ठी शताब्दीमा विद्यमान हता। __आ बंने भद्रबाहुस्वामीओ पैकी नियुक्तिना रचयिता कोण ए विशे विद्वानोमां भारे मतभेद छे। एक वर्ग एम कहे छे के, छेदसूत्रो अने नियुक्तिओनी रचना करनार प्रथम भद्रबाहुस्वामी चौद पूर्वधर हता; त्यारे बीजो वर्ग एम कहे छे के, छेद सूत्रकार अने नियुक्तिकार भद्रबाहुस्वामी एक नथी / 15 बंने वर्गो छेदसूत्रकार भद्रबाहुस्वामी चतुर्दश पूर्वधर होवा विशे एकमत छे पण बीजो वर्ग बीजा भद्रबाहुस्खामी, जेओ नैमित्तिक हता, तेमने ज नियुक्तिकार तरीके ओळखावे छ / ए मतभेदमां ऊंडा न ऊतरीए तोये आ 'नमस्कार-नियुक्ति'नी रचना करनार प्रतिभाशाली अने श्रुतसाहित्यना रहस्यवेत्ता छे एमां शंका नथी / तेमणे अगियार द्वारोथी नमस्कार सूत्रनी जे महत्ता बतावी छे ए ज एमनी प्रतिभानो 20 परिचय करावे छे / नमस्कार विशे तेमणे भाग्ये ज कोई विषय उपर विचार करवानुं बाकी मूक्यु होय एवँ एमनुं सर्वांगीण वक्तव्य अने वेधक दृष्टि छ / ___ आ अनुवादमा मूळ गाथाओमां निर्दिष्ट केटलीक महत्त्वनी कथाओ आपी छे, ज्यारे बीजी कथाओने विस्तारभये छोडी दीधी छे / तेनो परिचय टीकामांथी मळे एम छे / RUILDINApangenupamuos Apara