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________________ 147 विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / तिनि सया तित्तीसा धणु ति भागो अ होइ बोधव्यो / एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिआ // 85 // 971 // चत्तारि य रयणीओ रयणितिभागूणिआ य बोधव्वा / एसा खलु सिद्धाणं मज्झिमओगाहणा भणिआ // 86 // 972 // एगा य होइ रयणी अटेव य अंगुलाइ साहीआ। एसा खलु सिद्धाणं जहन्नओगाहणा भणिआ॥ 87 // 973 // ( हवे उत्कृष्ट वगेरे अवगाहनाना प्रकारो बतावे छे--) श-त्रणसो ने तेत्रीश धनुष्य अने धनुष्यनो त्रीजो भाग एटले पांचसो धनुष्य प्रमाणवाळा जीवोनी सिद्धिगतिमा उत्कृष्ट अवगाहना जाणवी / 85, (971) श०-सांत हाथनी कायावाळानी चार हाथ अने सोळ आंगळ ए सिद्धोनी मध्यम 10 अवगाहना जाणवी / 86, (972) श-एक हाथ अने आठ आंगळ ए सिद्धोनी जघन्य अवगाहना जाणवी / (87) वि०-आ त्रणे गाथानो अर्थ स्पष्ट छे पण भाष्यकारे आक्षेप-परिहार करीने आ हकीकतने वधारे स्पष्ट करी छे ते आ प्रमाणे प्र०-नाभि कुलकरना शरीरनी ऊंचाई पांचसो ने पचीस धनुष्य प्रमाण हती त्यारे मरुदेवा 15 मातानी सिद्धावस्थानी अवगाहना आमां केवी रीते घटी शके ? उ०-मरुदेवा माता नाभिकुलकरथी कईक न्यून अवगाहनावाळां हता, तेथी तेमनी पण पांचसो धनुष्यनी अवगाहना कहेवाय / अथवा हाथी उपर बेठेला होवाथी अंगने संकुचित करीने मोक्ष पामेला छे, तेथी एमनी अवगाहनामां कई ज विरोध आवतो नथी / प्र-सिद्धांतमा जघन्यथी सात हाथ प्रमाण ऊंचाईवाळाने मोक्ष थाय एम कहेलुं छे अने 20 अहीं बे हाथ प्रमाणवाळाने शा खातर जणाव्या छे ? उ०-सात हाथ प्रमाण तो तीर्थंकरो माटे कहेलुं छे, पण बाकीना सामान्य केवलीओ मोक्ष पामे छे तेवानुं बे हाथ प्रमाण जणावेलुं छे, जेम कुर्मापुत्र सिद्ध थया तो ते बे हाथ प्रमाणवाळा हता, तेथी आ प्रमाण जघन्यथी समजवू जोईए। अथवा सूत्रमा जघन्यथी सात हाथ प्रमाण अने उत्कृष्टथी पांचसो धनुष्य प्रमाणवाळा 25 मोक्षे जनारनी अवगाहना होय छे एम जे कयुं छे ते बहुलताथी छे एम समजवू / अन्यथा कोई वखते जघन्यपदे अंगुलपृथक्त्व अने उत्कृष्टपदे धनुष्यपृथक्त्व पण न्यूनाधिक होय छे। सामान्य श्रुतमां अच्छेरां (आश्चर्यो ) वगैरे बधुं कहेलं होतुं नथी / सिद्धमा जनारा जेम बे हाथ प्रमाणवाळा अने सवा पांचसो धनुष्यवाळा मानव होय तेम श्रुतमां कयुं न होय तो पण मानवू जोईए / 87, (973) 30
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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