________________ 144 णमोकारणिज्जुत्ती। [प्राकृत लाउअ एरंडफले अग्गी धूमे उसू धणुविमुक्के / गइ पुव्वपओगेणं एवं सिद्धाण वि गईओ // 71 // 957 // कहिं पडिहया सिद्धा कहिं सिद्धा पइट्ठिया / कहिं बोंदि चइत्ता णं कत्थ गंतूण सिज्झई 1 // 72 // 958 // अलोए पडिहया सिद्धा लोअग्गे अ पइद्विआ। इहं बोंदि चइत्ता णं तत्थ गंतूण सिज्झई // 73 // 959 // ईसीपभाराए सीआए जोअणम्मि लोगंतो / बारसहिं जोअणेहिं सिद्धी सव्वट्ठसिद्धाओ // 74 // 960 // (सिद्धोनी गति उदाहरणथी बतावे छे-) 10 शजेम तुंबडु, एरंडानुं फळ, अग्नि, धुमाडो अने धनुष्यमाथी छूटेखें तीर ए बधांनी पूर्वप्रयोगथी जेवी गति थाय छे तेवी ज सिद्धोनी पण गति थाय छे / (71).. वि०-कर्मथी मुकायेलो जीव एक क्षणमां ऊंचे लोकना अग्रभाग सुधी जाय छे। ते विशे दृष्टांतो जणावतां जेम तुंबडाने आठ वार माटीना लेप करेला होय अने पाणीमां नांखवामां आवे तो ते पाणीनी नीचे रहे छे पण माटीनो लेप ओछो थतां थतां पाणीना तळियानी मर्यादाथी 18 ऊंचे आवे छे तेम सिद्धोनी गति पण समजवी। ___जेम एरंडानुं फळ बंधन छेदाई जतां ऊंचे गति करे छे तेम सिद्धोनी गति थाय छे / वळी, अग्नि अने धुमाडो स्वाभाविक परिणामना कारणे जेम ऊंचे जाय छे तेम सिद्धोनी गति थाय छ / धनुष्यमाथी जेवी रीते तीर छूटे छे ते रीते सिद्धोनी गति थाय छे / 71, (957) (सिद्धोनी गतिनो अवरोध अने स्थिति विशे प्रश्न करे छे-) ' 20 श०-सिद्ध आत्मा क्यां प्रतिहत थाय छे ? सिद्धो क्यां प्रतिष्ठित छे ? क्यां तेओ शरीर छोडीने क्या जईने सिद्धि पामे छे ? 72, (958) (प्रश्नकारना पक्षने अवलंबीने कहे छे-) श०—सिद्धना जीवो अलोकमां प्रतिहत छे। लोकना अप्रभागे प्रतिष्ठित छे अने अही शरीर छोडीने त्यां जईने सिद्धि पामे छे / (73) 25 वि०-अलोक एटले ज्यां धर्मास्तिकाय अने अधर्मास्तिकाय नथी पण केवळ आकाशास्तिकाय छे त्यां सिद्धो स्खलना पामे छे / लोकाकाशमां तेओ अप्रतिहत छे / लोकनो अग्रभाग एटले पांच अस्तिकायरूप लोकना मस्तक भागमा प्रतिष्ठित छे, त्यांथी फरी वार आववानुं नथीए रीते प्रतिष्ठित छ। वळी, अढी द्वीप समुद्रनी अंदर ज सर्वथा शरीर छोडीने त्यां-लोकना अग्रभागमा अस्पृशद्गतिथी जईने सिद्ध थाय छे, एटले स्थिर थाय छे / 73, (959) (लोकनो अग्रभाग क्यां छे ते जणावे छे-) श-ईषद्प्राग्भारा जे सिद्धिभूमि छे अने जेनुं बीजं नाम सीता छे तेनाथी एक योजन दूर लोकनो अंतभाग छ / सर्वार्थसिद्ध विमानथी बार योजन दूर ते सिद्धिभूमि छ। 74, (960) 1 बीजाओ एम माने छे के लोकना अंतभागरूपी सिद्धिभूमि बार योजन दूर छे। तत्त्व तो केवलीओ ज जाणे / 30