________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। दुविहा परूवणा छप्पया य नवहाँ य छप्पया इ णमो। किं' कस्स केण वै कहिं कियचिरं' कइविहो व भवे // 5 // 891 // किं जीवो तप्परिणओ पुच्वपडिवनओ अ जीवाणं / जीवस्स व जीवाण व पडुच्च पडिवजमाणं तु // 6 // 892 // पदार्थद्वारनो अभिप्राय छे के, द्रव्य-भाव पूर्वकनी विशुद्धि द्वारा नमस्कारमंत्रनुं स्मरण, मनन / अने जाप करवो जोईए / श्रद्धापूर्वक पंच परमेष्ठीनुं शरण लेवू अने ए शरणसूचक शारीरिक क्रियाओने करवाथी आत्मामां शक्ति जागृत थाय छ। कर्मथी बंधायेला आत्माओ विशुद्ध आत्माओने द्रव्य अने भावनी शुद्धिद्वारा नमस्कार करे तो तेमना जेवा बनवानो आदर्श फळीभूत करे छ। 4, (890) / ५.प्ररूपणा द्वार। श०-प्ररूपणा बे प्रकारे छे-एक छ प्रकारनी अने बीजी नव प्रकारनी प्ररूपणा छ / तेमां 10 नमस्कार शुं छे ? कोने छे ? कोना वडे थाय छे ? क्यां रहे छे ? केटलो समय रहे छे ? अने ए केटला प्रकारे छे ? एम छ प्रकारो छ / ____ नमस्कार शुं छे ? नमस्कारना परिणामवाळो जीव नमस्कार छ / पूर्वप्रतिपन्ननी अपेक्षाए घणा जीवोनो नमस्कार छे, अने प्रतिपद्यमाननी अपेक्षाए एक जीवनो अथवा घणा जीवनो नमस्कार छ।(५-६) . वि०-प्ररूपणा बे प्रकारे छे–१ छ प्रकारनी अने 2 नव प्रकारनी छे / अहीं प्रथम छ 15 प्रकारनी प्ररूपणानो विचार करवामां आवे छे-तेमां 1 किम्- (निर्देश-खरूप) नमस्कार ए शुं छे ? 2 कस्य-(वामित्व-अधिकारित्व) नमस्कार कोनो ? 3 केन-(साधन-कारण) नमस्कार कोना वडे थाय छे ? 4 क-(अधिकरण-आधार) नमस्कार क्यां रहे छे ? 5 कियत् कालं-(स्थिति-काळ मर्यादा ) नमस्कार केटलो वखत रहे छे ? अने 6 कतिविधं(विधान-प्रकार) नमस्कार केटला प्रकारे छे ? 20 . (1. निर्देश-स्वरूप - 'नमस्कार ए शुं छे ?') प्र०-नमस्कारमंत्र ए शुं वस्तु छे ? एनुं स्वरूप शुं छे ? ते जीव छे के अजीव ? उ०-नैगम आदि अशुद्ध नयनी अपेक्षाए नमस्कार ए जीव छे, अजीव नथी / जीव मानमय छे अने ज्ञान जीवथी अभिन्न छे, तेथी जीव नमस्कार छ / प्र०-नमस्कार ए गुण छे के द्रव्य छे ? . उ०—द्रव्यास्तिकाय नयना मते गुणाश्रित जीवद्रव्य ज नमस्कार छे अने पर्यायास्तिकाय नयना मते जीवनो गुण ज नमस्कार छ / 25 1. द्रव्यनय सत्यरूपे तो द्रव्यने ज ग्रहण करे छे, ज्यारे गुणोने ते उपचारथी माने छे, तेथी नमस्कार गुणविशिष्ट जीवद्रव्य ज नमस्कार छे एवो द्रव्य नयनो अभिप्राय छ /