________________ 112 णमोक्कारणिबुत्ती। [प्राकृत उप्पन्नाणुप्पन्नो इत्थ नवाऽऽइ निममस्सप्पनो। सेसाणं उप्पन्नो जइ कत्तो ? तिविहसामित्ता // 2 // 888 // समुट्ठाणचायणा लद्धिओ पढमे नयत्तिए तिविहं / उज्जुसुय पढमवजं, सेसनया लद्धिमिच्छंति // 3 // 889 // 511. फळ द्वार-क्रिया कर्या पछी जे मळे ते फळ / नमस्कारतुं फळ स्वर्ग वगेरे, तेनो विचार फळ द्वारमा कर्यो छे / केटलाक स्वर्ग वगेरेने प्रयोजन कहे छे अने अपवर्गने फळ जणावे छे। नमस्कार मंत्र आ बधां अगियार द्वारोथी जाणचा योग्य छे // 1. (887) // 1. उत्पत्ति द्वार। श-नमस्कार उत्पन्न छे के अनुत्पन्न छ ? सेमा आदि नैगमनय अनुसारे अनुत्पन्न छ, 10ज्यारे बीजा नयो अनुसारे उत्पन्न छ / जो उत्पन्न छे तो केवी सते ? ए त्रण प्रकारना खामीपणाथी छ / ते त्रण प्रकारो-समुत्थान, वाचना अने लब्धिरूप कारणथी, नैगम आदि त्रण नयोमा ए त्रिविध कारणो छे, अने बीजा नयोमा लधि मात्र ज एक कारण छे / (2-3). वि०-नमस्कार बे प्रकारनो छ। 1 उत्पन्न एटले अनित्य अने 2 अनुत्पन्न एटले नित्य / आदि नैगम नय (सर्वसंग्राही नैगम नय) वस्तुना सामान्य विषयने ज ग्रहण करे छे, तेथी 16 ते मात्र नित्यपणाना विषयने ज अवलंबे छे, उत्पाद अने व्ययने ते ग्रहण करतो नथी, माटे नमस्कारनो आदि नैगम नयनी अपेक्षाए विचार करीए तो ते (नमस्कार) नित्य छे, अर्थात् अनुत्पन्न छे; ज्यारे वीजा नयो-देशसंग्राही नैगम, व्यवहार वगेरे नयोथी नमस्कार मंत्र उत्पन्न एटले अनित्य छ। प्रश्न-नमस्कार उत्पन्न (अनित्य ) छे तो ते कयी रीते ? उत्तर-नमस्कारनी उत्पत्तिमा 1 समुत्थान, 2 वाचना अने 3 लब्धि ए त्रण हेतुओ छ। 20 आ त्रणे हेतुओनो ए (नमस्कार) स्वामी छे तेथी ते उत्पन्न छ / 1. समुत्थान-देहधारी प्राणी ज नमस्कार मंत्रने. धारण करे छे / अने देहनी प्राप्ति तो बीज-अंकुर (बीजथी अंकुर अने अंकुरथी बीज) न्याये अनादि काळ्थी थती रहे छ / वळी, प्रत्येक जन्ममा शरीर भिन्न भिन्न होय छे ए कारणे वर्तमान जन्मना शरीरनी अपेक्षाए नमस्कार मंत्र आदिवाळो छे-तेनी उत्पत्ति थाय छे। . 2. वाचना-नमस्कार मंत्रनी प्राप्ति गुरुवचनोथी थाय छ आथी ते उत्पन्न छे अने आदिवाळो छ। 3. लब्धि-नमस्कार मंत्रनी प्राप्ति योग्य श्रुतावरणनां कर्मोनो क्षय थतां ज थाय छ। आ अपेक्षाए नमस्कार मंत्र उत्पाद-व्ययवाळो छे, एटले अनित्य छे एम प्रतीत थाय छ / नमस्कार उत्पन्नानुत्पन्नम् एटले उत्पन्न अने अनुत्पन्न छतां बनेनुं अधिकरण-आश्रय एक .. ज छे / केम के स्याद्वादीओ बनेनुं समानाधिकरण मानीने एकवचनना प्रयोगथी एषो समास की