________________ 10 [8] भयवया सिरिभद्दबाहुसामिणा विरहया सिरिआवस्सयसुत्तंतग्गया णमोकारणिज्जुत्ती॥ उप्पत्ती निक्लेवो' पर्य' पयत्थो परूवणी वत्थु / अक्खेवं पसिद्धिं कमो' पओयणं फलं' नमुकारो // 1 // 887 // भाववाही अनुवाद। नमस्कारनुं ज्ञान मेळववा नीचेना विषयो ( द्वारो) जणावे छेशब्दार्थ-१. उत्पत्ति, 2 निक्षेप, 3 पद, 4 पदार्थ, 5 प्ररूपणा, 6 वस्तु, 7 आक्षेप, 8 प्रसिद्धि, 9 क्रम, 10 प्रयोजन अने 11 फळ—आ अगियार द्वारोथी-प्रश्नोथी नमस्कारनो विचार ____कराय छे / (1) विवेचन-१. उत्पत्ति द्वार-उत्पत्ति एटले उद्भव / नमस्कारनो भाव उत्पन्न थवो ते उत्पत्ति द्वार कहेवाय छ / विशेष प्रकारे तो नमस्कारनी उत्पत्ति अने अनुत्पत्ति नयनी विचारणा द्वारा ___जाणी शफाय / 2. निक्षेप द्वार-निक्षेप एटले न्यास / नमस्कारनो न्यास नाम, स्थापना, द्रव्य अने भाव ए चार . प्रकारोथी थाय छ / 3. पद द्वार-नाम, अव्यय, आख्यात ए बधां पद कहेवाय छे / ए द्वारा बस्तुनो बोध थाय छ। - नमस्कार पण ए पदोथी जणाय छे। .:4. पदार्थ द्वार-द्रव्य अने भाव पूर्वक नमस्कारनां पदोनी व्याख्या करवी तेने पदार्थ द्वार कहे छ / . पदार्थ नमस्कारने बतावनारो छ। आगळनी गाथाओ (9-859) ना व्याख्याननो ए विषय छ। 5. प्ररूपणा द्वार-वाच्य-वाचकभाव, प्रतिपाद्य-प्रतिपादकभाव, अने विषय-विषयी भावनी दृष्टिए 20 ... नमस्कारनां पदोनुं व्याख्यान करवू तेने प्ररूपणा द्वार कहे छ। 6. वस्तु द्वार-जेमां गुणो रहे ते वस्तु कहेवाय / ते गुणोने योग्य वस्तु वस्तु द्वारमा कहेवाय छ / गुण अने गुणीमां कथंचित् भेद-अभेदपणुं होवाथी अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय अने साधु ए पंच परमेष्ठी ज नमस्कारने योग्य वस्तु छ। 7. आक्षेप द्वार-नमस्कार मंत्रना विषयने समजवा माटे विशेष रीते केटलीक आशंकाओ कल्पवी 25 जोईए, तेनुं विवरण आ द्वारमा करवामां आव्युं छे / 8. प्रसिद्धि द्वार-उपर्युक्त द्वारमा उपस्थित करेली आशंकाओनुं समाधान प्रसिद्धि द्वारमा करेलुंछे। 9. क्रम द्वार-नमस्कार मंत्रमा अरिहंत, सिद्ध वगेरेनो जे क्रम राखवामां आव्यो छे तेनो विचार - क्रम द्वारमा करायो छे। 10. प्रयोजन द्वार-नमस्कार मंत्रनुं प्रयोजन जे मोक्ष, तेनो विचार प्रयोजन द्वारमा कर्यो छे। 30