________________ 10 नमस्कार स्वाध्याय / 109 ___“ॐ नमो भगवओ महइ महापद्धमापसामिस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविजा वीरे वीरे महावीरे जयवीरे सेणवीरे वद्धमाप्यवीरे जये विजये जयंते अपराजिए स्वाहा // प्रातरवश्य वार 21 या - अथवा 108 बप्त्वा ] भुञ्जीत / एतत्प्रभावात् सौभाग्यमापदां नाशो, राजपूज्यः श्रियां पतिः / ___ दीर्घायुः शाकिनीरक्षा, सुगतिः स्पाद् भवान्तरे // इमां ग्रामप्रवेशे 21 वार जाप्त्वा प्रविशेत्, शोभनं कार्य भवति / तथा गोरोचन - कुङ्कुम - चन्दन- केसर-जाती-फल -कर्पूर - कस्तूरी-एतचूर्णमनुकूले चन्द्रे प्रीतौ सौभाग्ये वा योगे वा 108 अभिमन्य चूर्णेन तिलके कृते राजकुले राजकार्यकारी स्यात् / “ॐ नमो भगवओ महइ महावद्धमाणसामिस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविज्जा वीरे वीरे महावीरे जयवीरे सेणवीरे वद्धमाणवीरे जये विजये जयंते अपराजिते स्वाहा / ' उत्तरफाल्गुन्यामुपवासो जातिकुसुमैर्वर्द्धमानजिनस्याग्रतः सहस्रजापात् सिद्धयति / उत्तरकालं शुचिर्भूत्वा वार 21 मुखमभिमध्य यत्र व्रजेत् तत्र सर्वजनप्रियो भवति / अनयैव विद्यया बीजमभि जे विद्यानो जेटलो जाप कहेवामां आव्यो होय ते पूर्ण करतां वच्चे ऊंघ आवी जाय तो .. नाप निष्फळ थाय छे; तेथी ए जाप फरी करवो जोईए / - "ॐ नमो भगवओ महइ महावडमाणसामिस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविजा 16 वीरे वीरे महावीरे जयवीरे सेणवीरे बद्धमाषवीरे जये विजये जयंते अपराजिए वाहा // " .... आ 'वर्धमानविद्या'नो प्रबिदिन सकारे 21 अथवा 108 वार जाप कर्या पछी जमवू जोईए / .. आ विद्याना प्रभावथी-सौभाग्य मळे, आपत्तिओनो नाश थाय, राज्यमां मान वधे, धनवान् थाय, लांबुं आयुष्य मळे, शाकिनीओ सेनुं रक्षण करे अने भवांतरमां तेने सद्गतिनी प्राप्ति थाय छ / __गाममा प्रवेश करवानो होय त्यारे आ विद्यानो 21 वार जाप करीने प्रवेश करतां बधां 20 कार्यों सारी रीते पार पडे छ। वळी, गोरोचन, कुंकुम, केसर, जाईनुं फूल, फळ, (श्रीफळ ?) कपूर, कस्तूरी-ए बधांनुं चूर्ण बनावीने चंद्र अनुकूळ होय अने प्रीतियोग अगर सौभाग्ययोग होय त्यारे आ वर्धमानविद्याथी 108 वार मंतरीने ए चूर्णथी तिलक करवामां आवे तो राजकुळमां राज्यकार्योमां यश मळे / ___ "ॐ नमो भगवओ महइ महावद्धमाणसामिस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविजा 25 वीरे वीरे महावीरे जयवीरे सेणवीरे वद्धमाणवीरे जये विजये जयंते अपराजिते स्वाहा // " / ___ आ वर्धमानविद्यानो, जे दिवसे उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होय ते दिवसे, उपवास करीने, जाईनां पुष्षो वडे, श्रीवर्धमानस्वामीनी मूर्ति आगळ एक हजार वार जाप करवाथी ते विद्या सिद्ध थाय छे। ___पछी (विद्या सिद्ध थया पछी कार्यप्रसंगे) पवित्र थईने 21 वार पोतानुं मुख मंतरीने ते ज्यां जशे त्यां दरेक माणसने प्रिय थई पडशे / 30