________________ 105 . 10 नमस्कोर खाध्याय / में विद्युत्स्फुलिङ्गे सर्वकल्मषं दह दह स्वाहा / ' निर्मुजामध्यस्पर्शेन कल्मषदहनं कुर्यात् // 5 // 'ॐ विमलाय विमलंचित्ताय झ्वा वीं स्वाहा / ' हृदयशुद्धिं कुर्यात् // 6 // 'नमो अरिहंताणं अङ्गुष्ठयोः, नमो सिद्धाणं तर्जन्योः, नमो आयरियाणं मध्यमयोः, नमो उवज्झायाणं अनामिकयोः, नमो लोए सव्वसाहूणं कनिष्ठयोः, हृत् - कण्ठे - तालु-भ्रूमध्यं - ब्रह्मरन्ध्रेषु यथासंख्यं हाँ हाँ हूँ है हाँ वामकरण न्यसेत् / ततः 'ॐ कुरु कुल्ले स्वाहाँ वामकरेण वामांस-। वामकुक्षि'-वामचरण -दक्षिणचरण-दक्षिणकुक्षि -दक्षिणांसेएं, ततो वैपरीत्येन तेष्वङ्गेषु 'ही स्वा ले है कुंड' दुःस्वाम-दुर्निमित्ताशनि-विद्युत्-शत्रुभयादिरक्षा // 7 // ____ ततः 'क्षिप में स्वाहा' 'क्षि' पीतवर्ण पदोः, 'प' श्वेतवर्ण नाभौ, '' रक्तवर्ण हृदि, 'स्वा' नीलवर्ण मुखे, 'हा' मृगमदवणं भाले; ततो वैपरीत्येन 'हा स्वा , पक्षि' इति पृथिव्यप्-तेजो-वाय्वाकाशैर्महाभूतैः सकलीकरणम् // 8 // पछी-" विद्युतस्फुलिङ्गे सर्वकल्मषं दह दह स्वाहा / " आ मंत्र बोलतां त्रण वार भुजाओ उपर स्पर्श करीने पापने दहन करवू // 5 // पछी-" विमलाय विमलचित्ताय झ्वी वीं स्वाहा / " आ मंत्र बोलतां हृदय उपर हाथ फेरवीने हृदयशुद्धि करवी // 6 // पछी- अंगूठामा 'नमो अरिहंताणं' बोलीने न्यास करवो / तर्जनीमा 'नमो सिद्धाणं बोलीने न्यास करवो / मध्यमामा 'नमो आयरियाणं' बोलीने न्यास करवो / अनामिकामा 'नमो उवज्झायाणं' बोलीने न्यास करवो / कनिष्ठामा 'नमो लोए सव्वसाहणं' बोलीने न्यास करवो। - पछी-हृदयमा 'हाँ', कंठमा 'ही', ताळवामां 'हूँ, भवां वच्चे हैं अने मस्तकमां-ब्रह्मरंध्रमां 20 't नो क्रमशः डाबा हाथे न्यास करवो। . पछी- डाबा पडखामा 'कु' नो न्यास करवो, डाबी कुक्षीमा 'ह' नो न्यास करवो, डाबा पगमा 'कु' नो न्यास करवो, जमणा पगमा 'ल्ले नो न्यास करवो, जमणी कुक्षीमां 'स्वा' नो न्यास करवो अने जमणा पडखामां 'हा' नो न्यास करवो। . ते पछी ऊलटा क्रमे- जमणा पडखामां 'हा' नो न्यास करवो, जमणी कुक्षीमां 'खा' नो 25 भ्यास करवो, जमणा पगमां 'ल्ले नो न्यास करवो, डाबा पगमा 'कु' नो न्यास करवो, डाबी कुक्षीमा 'ह' नो न्यास करवो; डावा पगमा 'कु' नो न्यास करवो। आ रीते "कुरुकुल्ले स्वाहा" ए रक्षामंत्रथी विधि करतां खराब स्वप्नो, खराब निमित्तो, अग्नि, बीजळी अने शत्रु वगेरेना भय सामे रक्षण थाय छे // 7 // ते पछी-'क्षिप 3 स्वाहा' ए मंत्रथी सकलीकरण क, ते आ रीतेपगमां पीतवर्णनो 'क्षि' छे एवो संकल्प करवो।