________________ [7] वद्धमाणविज्जाविही // ॐ नमो अरिहंताणं, ऊँ नमो सिद्धाणं ऊँ नमो आयरियाणं, जै नमो उवज्झायाणं, ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं; उ नमो अरहओ भगवओ महईमहावीरवद्धमाणसामिस्ससिझउ 5 मे भगवई महई महाविजा वीरे महावीरे जयवीरे सेणवीरे वद्धमाणवीरे जए विजए जयंते अपराजिए अणिहए ॐ ह्रीं ह्रः ठः ठः स्वाहा // // विधिः // (पूज्याराध्यपं० श्रीअमरहंसगणिचरणपादुकेभ्यो नमः // श्रीवर्द्धमानस्वामिने नमः।). पञ्चाङ्गशौचं कृत्वा-ॐ भूरिसि भूतधात्रि सर्वभूतहिते भूमिशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा / ' 10त्रिः सृष्ट्या वासक्षेपेण भूमिशुद्धिं कुर्यात् // 1 // 7 अमले विमले सर्वतीर्थजले पाँ पाँ वां वां अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा / ' अञ्जलौ सर्वतीर्थजलं संकल्प्य ललाटादारभ्य पादतलं यावत् स्नायात् // 2 // 'ॐ ह्रीँ इवीं वीं पाँ पाँ वस्रशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा' इति वस्त्रशुद्विः // 3 // 'हाँ ह्रीं हूँ ह्रौँ ह्रः / ' अङ्गुष्ठादिषु वामकरेण न्यसेत् // 4 // अनुवाद प्रथम पंचांग एटले बे हाथ, बे ढींचण अने मस्तक एम पांचे अंग उपर हाथ फेरवी पवित्र बनाक्बां, ते पछी भूमिने शुद्ध करवा माटे आ मंत्र बोलवो "ॐ भूरिसि भूतधात्रि सर्वभूतहिते भूमिशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा / " आ मंत्र बोलीने (भूमिनी आसपास ) त्रण वार जमणा आवर्त ( एटले घडियाळना कांटा 20 जे बाजुएथी फरे ते रीत )थी वासक्षेप वडे भूमिने शुद्ध करवी // 1 // पछी-"ॐ अमले विमले सर्वतीर्थजले पाँ पाँवां वां अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा / " . आ मंत्र बोलतां अंजलि-खोबामा समप्र तीर्थोनुं पाणी छे एवो संकल्प करीने ललाटथी मांडीने पगनां तळियां सुधी स्नान करुं छं एवो विचार करवो // 2 // पछी-"ॐ ह्रीँ झ्वी क्ष्वीं पा पाँ वस्त्रशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा / " आ मंत्र बोलता बोलतां वस्रो उपर हाथ फेरवीने वस्त्रोनी शुद्धि करवी // 3 // पछी-"हाँ ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः”—आ मंत्राक्षरो बोलतां डाबा हाथ वडे जमणा हाथनो अंगूठो वगेरे पांचे आंगळीमा क्रमशः एकेक अक्षरनो न्यास करवो // 4 //