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________________ वढमाणविजाविही। ॐ ॐ नमः' सामान्यार्थः, वासैः संवृतपट्टपूजा / ततो मण्डलोद्घाटनं पट्टनिश्चलीकरणं, गर्भादारभ्य मण्डलपूजां कृत्वा आवाहनादिपञ्चकं स्वस्वमुद्राभिः कुर्यात् / तद् यथा “ॐ ही नमोऽस्तु भगवन् ! वर्धमानस्वामिन् ! एोहि संवौषट् / ' इत्याहानं आवाहन्या मुद्रया // 1 // 5 ॐ हाँ नमोऽस्तु भगवन् ! वर्द्धमानस्वामिन् ! तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः / ' स्थापन्या स्थापनम् // हत्कमलादवतार्य पटे स्थापयेत् // 2 // ॐ हाँ नमोऽस्तु भगवन् ! वर्द्धमानस्वामिन् ! मम संनिहितो भव वषट् / ' संनिधापन्या संनिधापनम् // 3 // नाभिमां श्वेतवर्णनो 'प' छे एवो संकल्प करवो / 10 हृदयमा लाल वर्णनो 'ॐ' छे एवो संकल्प करवो / मुखमां नील वर्णनो 'खा' छे एवो संकल्प करवो। ललाटमां कस्तूरी जेवा (श्याम ) वर्णनो 'हा' छे एवो संकल्प करवो। . ते पछी ऊलटा क्रमे - ललाटमां श्याम वर्णनो 'हा' छे एवो संकल्प करवो। मुखमां नील वर्णनो 'खा' छे एवो संकल्प करवो। हृदयमां लाल वर्णनो ''छे एवो संकल्प करवो। नाभिमां श्वेत वर्णनो पछे एवो संकल्प करवो। पगमां पीत वर्णनो 'क्षि छे एवो संकल्प करवो। आ रीते पृथ्वी, अप, तेज, वायु अने आकाश ए पंच महाभूतोनो विचार करतां 'सकलीकरण' थाय छे // 8 // 20 ' , नमः' ए सर्वसाधारण अर्थसूचक मंत्र छे / ए मंत्र बोलीने बांधेला अने वीटी राखेला 'वर्धमानविद्या' ना पटनी पूजा करवी।। ते पछी ए पटने खोलवो अने बराबर स्थिर करवो / तेयां गर्भ-वच्चेना बिंदुथी मांडीने समप्र पटनां मंडलो-आवर्तानी पूजा करवी / ते पछी आवाहन वगेरे (1 आवाहन, 2 स्थापना, 3 संनि धान, 4 संनिरोधन अने 5 अवगुंठन ) पांच उपचार-पूजाओ पोतपोतानी मुद्राओथी करवी; 25 ते आ रीते " ही नमोऽस्तु भगवन् ! वर्धमानस्वामिन् ! एोहि संवौषट् / " आ मंत्र बोलीने आवाहनी मुद्रावडे आवाहन करवू / (1). “ॐ हीं नमोऽस्तु भगवन् ! वर्धमानखामिन् ! तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः।" आ मंत्र बोलीने स्थापनी मुद्रावडे स्थापना करवी / अर्थात् (भगवानने ) हृदयकमळमाथी 30 उपाडीने पटमां स्थापन करवा / (2) " हाँ नमोऽस्तु भगवन् ! वर्धमानवामिन् ! मम संनिहितो भव वषट् / " : आ मंत्र बोलतां संनिधापनी मुद्रावडे संनिधापन करतुं' एटले सामीप्य कर / (3)
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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