________________ उवहाणविहिथुत्तं / [प्राकृतं अरहंतचेइयथए उवहाणमिणं तु होइ कायद्धं / एग चेव चउत्थं तिनि अ आयंबिलाणि तहा // 3 // एग चिय किर छठें चउत्थमेगं च होइ कायव्वं / पणवीसं आयामा चउवीसथयम्मि उवहाणं // 4 // एगं चेव चउत्थं पंच य आयंबिलाणि नाणथए / चिइवंदणाइसुत्ते उवहाणमिणं विणिद्दिढं // 5 // अव्वावारो विगहाविवजिओ रुद्दझाणपरिमुक्को / विस्सामं अकुर्णतो उवहाणं वहइ उवजुत्तो // 6 // अह कहवि होज बालो वुड्डो वा सत्तिवजिओ तरुणो / सो उवहाणपमाणं पूरिज्जा आयसत्तीए // 7 // 'अरिहंतचैत्यस्तव' (अरिहंतचेईयाणं) सूत्रना उपधानमा एक उपवास अने त्रण आयंबिलमुं तप करवू जोईए। [ कुल अढी उपवास चार दिवसमां करवाना होय छे / तेनी एक ज वाचना 'अप्पाणं वोसिरामि' सुधीनी छ / ] // 3 // . 15 'चउवीसथय' (लोगस्स ) सूत्रना उपधानमां एक छठ्ठ अने एक उपवास (लागट त्रण उपवास पछी पहेली वाचना) अने पचीस आयंबिल ( बार आयंबिल पछी बीजी वाचना अने बीजां बार आयंबिल पछी त्रीजी वाचना अपाय ) छे / [कुल 15 ( चालु विधि मुजब 15 // ) उपवास 28 दिवसमां करवाना होय छे / तेनी त्रण वाचनाओ छे / पहेली वाचना 'चउवीसं पि केवली' सुधीनी, बीजी वाचना 'पासं तह वद्ध20 माणं च' सुधीनी अने त्रीजी वाचना 'सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु / सव्वलोए०' सुधीनी छे।] // 4 // ए ज प्रकारे चैत्यवंदन आदि सूत्र ( श्रुतस्तव-पुक्खरवरदि अने सिद्धस्तव-सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्रो)ना उपधानमा एक उपवास (पछी श्रुतस्तव-पुक्खरवरदिनी पहेली वाचना अपाय छे। ) अने पांच आयंबिल पछी एक उपवास ( पछी बीजी सिद्धस्तव-सिद्धाणं बुद्धाणंनी बीजी वाचना अपाय ) छ। [कुल साडा चार उपवास सात दिवसमां करवाना होय छे / तेनी बे वाचनाओ छ। पहेली 25 वाचना 'पुक्खरवरदि० थी सुअस्स भगवओ०' सुधीनी अने बीजी वाचना 'सिद्धाणं बुद्धाणं थी वेयावच्चगराणं थी सम्मदिहिसमाहिगराणं' सुधीनी छे / ] // 5 // ___ उपधान तप वहन करनार मनुष्ये कोई प्रकारनो (मन, वचन, कायाना योगनो) व्यापार करवो न जोईए / क्लेशथी रहित तेमज रौद्र ध्यानथी मुक्त थईने विश्राम कर्या विना ज (निरंतर) उपधान तपने वहन कर जोईए // 6 // 30 ( अनुसंधानमां कहे छे के-) ते उपधान वहन करनार जो कोई बाळक के वृद्ध होय अगर शक्ति विनानो युवक होय तो ते उपधाननु (तप) प्रमाण पोतानी शक्ति मुजब पूरुं करे // 7 //