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________________ [6] सिरिमाणदेवसरिरइयं उवहाणविहिथुत्तं // पंच नमोकारे किल दुवालस तवो उ होइ उवहाणं / अट्ठ य आयामाई एगं तह अट्ठमं अंते // 1 // एवं चिय निस्सेसं इरियावहियाइ होइ उवहाणं / सकत्थयम्मि अहममेगं बत्तीस आयामा // 2 // अनुवाद 'नमस्कार' (पंचमंगल महाश्रुतस्कंधसूत्र )नुं उपधान' (ज्ञान आराधन माटेनुं तपोमय अनुष्ठान ) बार उपवासना तपथी कराय छे / तेमां प्रथम पांच लागट उपवास पछी पहेली वाचना 10 अने ते पछी आठ आयंबिल तेमज अंते एक अट्ठम (त्रण उपवास लागट) करवाना होय छे। (ते पछी बीजी वाचना आपवामां आवे छे। ) [ नमस्कार मंत्रना उपधानमा 12 (चालु विधि प्रमाणे 12 // ) उपवास 18 दिवसमां करवाना होय छे / प्रथम वाचना 'नमो लोए सव्वसाहूणं' सुधीनी अने बीजी वाचना 'पढमं हवइ मंगलं' सुधीनी छे / ] // 1 // - 'ईरियावहिय' (सूत्र )ना उपधानमां पण आ प्रकारे (नमस्कार मंत्र माटे जणान्यो छे ते) तप करवानो होय छे / ( अर्थात् पांच लागट उपवास पछी पहेली वाचना अने आठ आयंबिल तेमज त्रण लागट उपवास कर्या पछी बीजी वाचना अपाय छे / ) [ईरियावहियना उपधानमा 12 (चालु विधि प्रमाणे 12 // ) उपवास 18 दिवसमां करवाना होय छे / प्रथम वाचना 'जे मे जीवा विराहिआ' सुधीनी अने बीजी वाचना 'ठामि 20 काउस्सग्गं' सुधीनी छे।] 'शकस्तव' (नमोत्थु णं) सूत्रना उपधानमा एक अट्ठम अने बत्रीश आयंबिल करवानां होय छे (एटले तेमां लागट त्रण उपवास पछी पहेली वाचना, सोळ आयंबिल पछी बीजी वाचना अने ते पछी बीजां सोळ आयंबिल पछी त्रीजी वाचना अपाय छे / ) [शक्रस्तवना उपधानमां 19 (चालु विधि प्रमाणे 19 // ) उपवास 35 दिवसमां करवाना 25 होय छे / पहेली वाचना 'पुरिसवरगंधहत्थीणं' सुधीनी, बीजी वाचना 'चाउरंतचक्कवट्टीणं' सुधीनी अने त्रीजी वाचना 'सव्वे तिविहेण वंदामि' सुधीनी छे / ] // 2 // -- 1. उपधानना अर्थविस्तार माटे जुओ-'श्री प्रतिक्रमणसूत्र-प्रबोधटीका' भा. 2, पृ० 59 थी 61.
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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